जीएसटी लागू करने में वित्त मंत्री अरुण जे टली की भूमिका को कैट ने सराहा

जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा सर्वसम्मति से सीजीएसटी एवं आईजीएसटी कानून के प्रारूप पारित करने पर कंफेडेरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीअरुण जेटली की प्रशंसा करते हुए कहा है की इस महत्वपूर्ण कदम से देश में अब जीएसटी लागू करने का मार्ग पूरी तरह साफ़ हो गया है !इसी बीच कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्रीसे आग्रह किया है की संसद में यह बिल रखने से पूर्व सरकार व्यापारियों को भी विश्वास में ले ! कैट ने कहा है की जीएसटी एक गंतव्य आधारित कर प्रणाली है औरजीएसटी के अंतिम गंतव्य उपभोक्ता के साथ सीधा एवं अंतिम संपर्क व्यापारियों का ही होता है इस दृष्टि से व्यापारियों के साथ संवाद इस कानून को देश भर में सरलता केसाथ लागू करने में महत्वपूर्ण होगा और जीएसटी को राजस्व एकत्र करने में एक सफल मॉडल बनाएगा !

हालाकिं कैट देश में जल्द जीएसटी लागू करने का पक्षधर है किन्तु कैट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है की इस कानून की बारीकियों को समझने एवं इसे अपने वर्तमानव्यापारिक मॉडल में आवश्यक बदलाव करने हेतु व्यापारियों को कुछ वक्त दिया जाना जरूरी है ! जीएसटी विशूद्द रूप से टेक्नोलॉजी पर आधारित एक कर प्रणाली हैजिसका पालन केवल ऑनलाइन माध्यम से ही किया जाना तय है और उधर दूसरी तरफ यह भी सच है की देश में लगभग 70 % छोटे व्यवसायिओं को अभी भी अपनेवर्तमान व्यापारिक ढांचे को कंप्यूटरीकृत करना शेष है, इस वजह से 1 जुलाई 2017 की तारीख को कुछ समय के लिए आगे बढ़ाया जाए और इसी बीच सरकार व्यापारिकसंगठनों के सहयोग से बड़े पैमाने पर देश भर में जीएसटी को लेकर एक राष्ट्रीय जागरूकता अभियान चलाये ! कैट इसमें सरकार का पूरा सहयोग करेगी ! हालाकिं कैट नेदेश में अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की बड़ी कंपनी टैली सॉल्यूशंस लिमिटेड के साथ मिलकर पहले से ही जीएसटी के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय अभियान चलाया हुआ है लेकिन सरकारयदि सहयोग करती है तो जल्द ही यह अभियान देश के कोने कोने में पहुँच सकता है !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी कानून के कुछ प्रस्तावित प्रावधान व्यापारियों के लिए कुछपरेशानियां कड़ी कर सकते हैं और जिन पर एक बार दोबारा विचार करने की जरूरत है जिससे कर की पालना करने वाले व्यापारियों को दूसरे किसी व्यक्ति की लापरवाहीका दंड न भुगतना न पड़े ! इसी क्रम में इनपुट क्रेडिट एक बड़ा मुद्दा है जिसमें माल खरीदने वाले व्यक्ति को इनपुट क्रेडिट जभी मिलेगा जब माल बेचने वाला व्यक्ति करजमा कर दे ! यह प्रावधान बेहद अस्पष्ट है और किसी एक व्यक्ति की गलती या लापरवाही की सजा उस व्यक्ति को मिलेगी जो कर की पालना कर रहा है जिससे करपालना हतोत्साहित होगी ! उन्होंने कहा की सरकार को निश्चित रूप से कर वंचना करने वालों को दण्डित करने का अधिकार है और जीएसटी के प्रावधानों के मुताबिक हरव्यक्ति को जीएसटी नेटवर्क से अपना पंजीकरण करना होगा और अपनी बिक्री की हर जानकारी नेटवर्क को देनी होगी जिसके चलते जिस व्यक्ति ने कर लिया है उसे करजमा करना अनिवार्य होगा, ऐसे में जो जब माल खरीदने वाला माल बेचने वाले को कर दे ही चूका है तो यदि माल बेचने वाला कर न जमा कराये तो खरीदने वाले को दण्डितक्यों किया जाए ! यह प्रावधान एक तरीके इसे अन्यायपूर्ण है !

कैट ने सरकार को सुझाव दिया है की इनपुट क्रेडिट को वैध रिटर्न से न जोड़ा जाए !वैध रिटर्न वो हो जिसमें कर पूरे तौर पर लिया गया है एवं जो कर लेने वाले कीजिम्मेदारी तय करता है ! इस दृष्टि से इनपुट क्रेडिट प्राप्त करने के लिए वैध रिटर्न को आधार बनाया जाये न की कर जमा करने को ! यदि इस सुझाव को स्वीकार कियाजाता है तो यह व्यापारियों को एक बड़ी परेशानी से बचाएगा और कर पालना को मजबूत करेगा तथा कर वंचना को रोकेगा !

कैट ने यह भी कहा है की अंतरराज्यीय व्यापार में ई परमिट लागू करना सारे देश को एक मंडी – एक कर बनाने के सिद्धांत के विरुद्ध होगा ! जब सभी व्यक्ति सीधे जीएसटीनेटवर्क पर पंजीकृत है और हर व्यक्ति हर गतिविधि सरकार की निगाहों में है , ऐसे में ई परमिट की कोई आवश्यकता नहीं है ! जीएसटी में इस प्रावधान को न रखा जाए,यह आग्रह भी कैट ने किया है !