FOOD FOR THOUGHT FOR NOIDA REGION PEOPLE

BY DEVENDER. KUMAR

कल से सारे चैनलों और सोशल मीडिया पर यूपी के एग्जिट पोल की ही चर्चा दिख रही थी। सभी अपने- अपने तरीके से आकलन कर रहे हैं कि कहां पर पर कौन सी पार्टी जीत रही है। लेकिन मैं इस चर्चा के इतर दूसरी बात सोच रहा हूं। यदि इन चुनावों में एसपी को आउट करके बीजेपी या बीएसपी आ भी गई तो क्या फर्क पड़ेगा।

क्या इस सत्ता परिवर्तन से जनता की बेसिक समस्याएं दूर हो जाएंगी या फिर जनता पहले ही तरह लूट का शिकार होती रहेगी। यदि आप में से किसी बुद्धिजीवी के पास मेरे इन सवालों का जवाब हो तो कृप्या उचित मार्गदर्शन करने की कोशिश करें, जिससे मैं भी अपना ज्ञानवर्धन कर सकूं।

1 क्या प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी में बैठे भ्रष्ट अफसर साफ हो जाएंगे और यहां पर किसान, उद्यमी और आम अलॉटी के सारे कामकाज ईमानदारी से होने लगेंगे।
2 किसी भी थाने में जाते वक्त लोगों के मन में बसा हुआ डर खत्म हो सकेगा। क्या पुलिस का पब्लिक के प्रति व्यवहार बदल जाएगा।
3 समाजसेवा के नाम पर बिजनेस के अड्डे बना दिए स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों के मालिक क्या अपना रवैया सुधारने को मजबूर होंगे। क्या आम आदमी उनकी सेवाओं का लाभ ले पाएंगे।
4 क्या बिना जरूरत के भी लाखों- करोड़ों के टेंडर जारी करने, अपने चहेते लोगों की लीज बैक कराने, नियमों काे ताक पर रखकर प्लॉटों का अलोकेशन करवाने, इंडस्ट्री के नाम पर किसानों से जमीन छीनकर बिल्डरों को देने के खेल पर रोक लग पाएगी।

यदि इन सब सवालों का उत्तर हां में है तो निश्चित रूप से सत्ता परिवर्तन का स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन यदि इसका उत्तर ना है तो समझ लीजिए, हम कुएं से निकलकर खाई में गिरने जा रहे हैं। इसलिए दोस्तों, मेरा मानना है कि हम सत्ता परिवर्तन के बजाय इस बात पर ध्यान दें कि ये बदलाव आम लोगों की बेसिक समस्याओं को दूर करने में कितना कारगर होंगे। यदि ऐसा होता नहीं दिखता है तो पब्लिक को भविष्य में निश्चित रूप से कुछ ओर विकल्प चुनने को मजबूर होना पड़ेगा।