गंगाजल से अब बुझेगी नोएडावासियो की प्यास

नोएडा में सभी लोगो को गंगा जल पिने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिले उसके लिए नोएडा प्राधिकरण काफी प्रयास करने में लगा है पेयजल के रूप में शहर में सौ फीसद गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए इस समय नोएडा प्राधिकरण के पास दस मिलियन लीटर डेली एमएलडी गंगाजल की कमी है। आने वाले दिनों में इस कमी को पूरा करके शहर व गांव में पेयजल के रूप में सौ फीसद गंगाजल की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद 90 एमएलडी गंगाजल की परियोजना पर कार्य चल रहा है। हालांकि इतने गंगाजल की मांग वर्ष 2021 में होगी, लेकिन इस परियोजना को इस वर्ष के अंत तक पूरा करके शहर के लोगों को सौ फीसद गंगाजल पेयजल के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। नोएडा प्राधिकरण के पास इस समय पेयजल की आपूर्ति के तीन मुख्य श्रोत हैं। पहला गंगाजल, दूसरा ट्यूबवेल और तीसरा रैनीवेल से मिलने वाला भूजल। अभी शहर में पेयजल की मांग 250 एमएलडी है और प्राधिकरण के पास गंगाजल के रूप में 240 एमएलडी पानी की उपलब्धता है। दस एमएलडी पानी की कमी को पूरा करने के लिए भूजल के रूप में पानी निकालकर इसमें गंगाजल मिश्रित पानी की आपूर्ति की जाती है। जिससे लोगों को सिर्फ भूगर्भ से निकलने वाले भारी पानी के कारण परेशानी न हो। नोएडा प्राधिकरण द्वारा वेपकॉस द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार शहर में दस प्रतिशत के हिसाब से प्रतिवर्ष मांग बढ़ेगी। इस हिसाब से पानी की उपलब्धता के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया। इसके तहत वर्ष 2021 में नोएडा प्राधिकरण के पास 330 एमएलडी गंगाजल उपलब्ध होगा। 2026 में यह क्षमता बढ़कर 452 एमएलडी और वर्ष 2031 के मास्टर प्लान के अनुसार नोएडा प्राधिकरण के पास 560 एमएलडी गंगाजल की उपलब्धता होगी। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा क्षेत्र में अब आबादी में जो बढोतरी होनी है, वह दस प्रतिशत प्रति वर्ष से भी कम हो जाएगी। वजह, नोएडा में अधिकांश सेक्टरों में पूरी तरह से आबादी बस चुकी है। जिन नए सेक्टरों में आबादी बढ़नी हैं, उनके हिसाब से आने वाले दिनों में भी जितने पानी की जरूरत होगी, उतनी आपूर्ति गंगाजल के माध्यम से की जा सके। इसकी दूसरी बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि पार्क, ग्रीन बेल्ट व अन्य रूप में सिंचाई कार्य में प्रयोग होने वाले पानी के रूप में सीवरेज ट्रीटमेंट से निकलने वाले शोधित पानी का प्रयोग किया जाएगा। वहीं निर्माण कार्य के दौरान भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले शोधित पानी का प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में जो मांग आबादी बढ़ने पर बढ़ेगी, उतने पेयजल की आपूर्ति गंगाजल से पूरी की जा सकेगी।