नोएडा प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है पानी का अवैध कारोबार

नोएडा में पानी का अवैध कारोबार शहर में तेजी से फल-फूल रहा है। जगह-जगह इसके अवैध प्लांट लगे हुए हैं। इन अवैध प्लांटों से रोजाना पांच लाख लीटर से अधिक पानी शहर में बेचा जा रहा है। यह पानी अशुद्ध, गैर शोधित व टीडीएस युक्त हो सकता है। इसमें कई तरह के खतरनाक तत्व हो सकते हैं, जो पानी को जहर बना देते हैं। लेकिन, लोग पैसे देकर भी यही जहर पीने को मजबूर हैं ज्यादातर प्लांट ग्रामीण क्षेत्रों में व सेक्टर से लगे क्षेत्रों में गुप्त रूप से संचालित किए जा रहे हैं। पानी का अवैध कारोबार कर रहे एक संचालक ने बताया कि उसका अपना खुद का बोर है। इसमें से पानी निकलकर टंकियों में आता है। संचालक ने दावा किया कि वह पानी को शोधित करके जार में भरता है। हालांकि, पानी को शोधित करने की प्रक्रिया वह नहीं समझा सका। पानी का प्लांट चलाने के लिए मानक के बारे में भी उसे कोई जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं इसके लिए संचालक के पास कोई लाइसेंस भी नहीं है। अनुमान के मुताबिक वह रोजाना आठ सौ से 1000 बोतलें बेचता है। यानी, करीब 20 हजार लीटर पानी रोजाना। शहर में इस तरह के 50 से ज्यादा प्लांट हैं, जहां से रोजाना पांच-छह लाख लीटर पानी 20-20 लीटर वाले जार में भरकर बेचा जाता है।

20 से 30 रुपये होती है कीमत :

एक बोतल की कीमत संचालक 10 से 12 रुपये लगाता है। वह पानी को थोक में बेचता है। प्लांट पर रोजाना कई गाड़ियां आती हैं, जो 20-20 लीटर के 100 से 200 जार ले जाती हैं। इसे ले जाने के बाद वह लोगों तक पहुंचाने के लिए 20 से 30 रुपये का चार्ज वसूलती हैं। इसके बावजूद पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती। न ही इसकी पैकिंग, लेवलिंग का कोई मानक होता है।

होटल, ढाबा, सेक्टर, गांव व झुग्गियों में होती है सर्वाधिक बिक्री: अवैध प्लांट से पानी की सर्वाधिक खपत छोटे-मोटे होटलों ढाबों, रेहड़ियों, सेक्टरों, गांवों व झुग्गियों में सर्वाधिक होती है। यह कारोबार शहर में बड़े पैमाने पर फैल चुका है।

अधिकारी देते हैं पानी माफिया को संरक्षण:

पड़ताल में पता चला कि ये सभी अवैध प्लांट अधिकारियों की नजर में हैं, लेकिन वह सभी पानी माफिया को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। प्रशासन इन पानी माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं करता। कभी करता भी है तो सिर्फ दिखावे के लिए। सूत्र बताते हैं कि संरक्षण प्राप्त करने के बदले पानी माफिया मोटी रकम अधिकारियों को भी पहुंचाते हैं। इसमें सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों का हिस्सा होता है।

यहां हैं सर्वाधिक अवैध प्लांट:

पानी के अवैध प्लांट शहर में जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं। सर्वाधिक अवैध प्लांट सेक्टर 08, 09, बरौला, हरौला, छिजारसी, मामूरा, झुंडपुरा, सर्फाबाद, सोरखा, गढ़ी चौखंडी, छलेरा, भंगेल, मोरना, सदरपुर इत्यादि जगहों पर हैं।

बड़े पैमाने पर हो रहा भूजल का दोहन :

इन अवैध प्लांटों से रोजाना लाखों लीटर भूजल का दोहन हो रहा है। संबंधित विभागों के अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी कोई कार्रवाई करने से बच रहे हैं। लिहाजा पानी माफिया शहर के अधिकांश क्षेत्रों में लगातार अपना कब्जा जमाते जा रहे हैं। हालत यह है कि आधा से ज्यादा शहर इसी पानी पर निर्भर हो चुका है।

अशुद्ध पानी पीने से हो सकती हैं यह बीमारियां:

कैलाश अस्पताल के वरिष्ठ फिजियोलोजिस्ट डॉ. एके शुक्ला के अनुसार इस तरह के पानी में बैक्टीरिया वायरस, कई तरह के खतरनाक रसायन, भारी धातु जैसे लेड, जिंक, कॉपर इत्यादि हो सकते हैं, जो सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक हैं। इस तरह का अशुद्ध पानी पीने से हेपेटाइटिस ए, बी व सी हो सकता है। इसके अलावा वायरल व बैक्टीरियल इंफेक्शन, टायफाइड, पीलिया, गैस्ट्रोइंटेटाइटिस, डिहाइड्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। लगातार इस तरह का अशुद्ध पानी पीने से किडनी व लीवर तक खराब हो सकते हैं।