70 साल की आज़ादी के बाद भी देश के युवा शिक्षा औ र रोजगार से आज भी महरूम

नोएडा – हम आजादी के 71 वें वर्ष में पहुंच गए हैं। इतने सालों में देश ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन देश की सबसे बड़ी चुनौतियों से हमें अब भी लड़ना पड़ रहा है। अशिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी अब तक खत्म नहीं हुए हैं। आज यह समस्याएं हर सरकार के लिए एक चुनौती बन चुकी हैं लेकिन अफसोस आज तक इनका हल नहीं हो सका है। आधुनिकता की दौड़ में सामाजिक कुरीतियां देश की छवि को धूमिल कर रही हैं। अपराध एवं बाल श्रम के बढ़ते मामले देश की छवि को खराब कर रहे हैं। हम सबको आज इन चुनौतियों से जल्द निपटने का संकल्प लेना होगा। हमारे जिले में भी कई समस्याएं हैं जो आज तक हल नहीं हो सकी हैं।
शिक्षा – शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बावजूद यह शहर अशिक्षा के कलंक से दूर नहीं हो पाया है। शिक्षा महंगी होने के चलते कई विधार्थी इससे वंचित हैं। वहीं प्राथमिक स्तर पर ड्राप आउट बच्चों को जोड़ने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। आजादी के 71 वें वर्ष पर सरकार को शिक्षा का एक स्तर बनाना होगा। बारहवीं तक शिक्षा को अनिवार्य कर पूर्ण रूप से मुफ्त करना होगा ताकि अशिक्षा का कलंक जल्दी दूर हो जाए। शहर की स्लम बस्ती में रहने वाले कई बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं, जिनकी पहचान शिक्षा विभाग नहीं कर सका है। इसके लिए सघन अभियान चलाने की जरूरत है ताकि देश तरक्की की उड़ान भर सके। शहर में साइकिल चलाने वाले, मजदूरी करने वाले कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी दिन की कमाई से शाम को घर का चूल्हा जलता है। अशिक्षा के कारण गरीबी की दीवार मोटी होती जा रही है। नोटबंदी के समय भी ऐसे कई मजदूर सामने आए थे जिन्हें बासी रोटी नसीब हो रही थी। गरीबी को दूर करने के लिए शहर में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र नियमित रूप से चलाना चाहिए। मजदूरों का उनकी रुचि के आधार पर कौशल विकास किया जाना चाहिए। जो मजदूर काम नहीं कर सकते उन्हें और जरूतरमंद गरीब को राशन देने की अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए। बेरोजगारी – दिल्ली एनसीआर की इस हाईटेक सिटी में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। जो युवा शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, उनको रोजगार नसीब नहीं हो रहा है। स्कूल, कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में उनका कौशल विकास नहीं हो सका है। ऐसे में कंपनियों की तरफ से नौकरी के अवसर नहीं दिए जा रहे हैं। कंपनियों में पहुंचने पर यह सवाल किया जाता है कि क्या काम आता है, तब विधार्थ कोई जवाब नहीं दे पाते हैं। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव कर प्रायोगिक ज्ञान की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि पढ़ाई पूरी होते ही युवा वर्ग अपनी कमाई से घर को सहारा दे सकें। नोएडा में हर वर्ष हजारों की संख्या में शिक्षित बेरोजगार सामने आ रहे हैं, जिनको नौकरी पाने के लिए भटकना पड़ रहा है।