केन्द्र सरकार छोटे हस्तशिल्प कारीगरों के हित मे सोचे- सुशील जैन

नोएडा – भूषण व्यवसाय में हस्तशिल्प कारीगरों को जी एस टी शाशन ने उन राज्यों में पंजीकरण के बिना उनके द्वारा बनाये गए उत्पाद को बिक्री के लिए अनुमति नहीं दी, जहां कारीगर दूसरे राज्यो . मे जाकर आभूषण बेचना चाहते हैं।
हस्तशिल्प कारीगरो की मुख्य समस्या कई राज्यों में बिक्री के लिए खुद को पंजीकृत कराना है जो उचित नहीं है। सुशील कुमार जैन चेयरमैन फेडरेशन आफ इंडस्ट्रियलिस्ट ट्रेडर्स एंड ज्वेलर्स ऐशोशियेशन्स का कहना है कि सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए और छोटे जौहरी और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए उचित प्रणाली बनानी चाहिए।
जीएसटी कौंसिल ने टैक्स रिफॉर्म के *वन टैक्स वन नेशन* के अपने स्लोगन के अनुसार उन्हे उनके गृह राज्य मे एक पंजीकरण पर मल्टी स्टेट सेल की बिक्री की अनुमति देनी चाहिए और इसे एक पंजीकरण में जोड़ना चाहिए

वर्तमान में, जॉब वर्क सर्विस की अंतर-राज्य कर योग्य आपूर्ति करने वाला एक जॉब वर्क रु। 20 लाख (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर विशेष श्रेणी के राज्यों में 10 लाख रु।) और पंजीकरण के लिए उत्तरदायी है। उन नौकरी श्रमिकों को पंजीकरण प्राप्त करने से छूट देने का निर्णय लिया गया है जो एक पंजीकृत व्यक्ति को अंतरराज्यीय कराएबल आपूर्ति की आपूर्ति कर रहा है, जब तक कोई ई-वे बिल के कवर के तहत माल की चालें, चाहे वह मूल्य खेप। यह छूट अध्याय 71 के तहत आभूषण, सुनारों और चांदी के सामान के संबंध में नौकरी के काम के लिए उपलब्ध नहीं होगी, जिसके लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं है।