अयोध्या में त्रेता युग का आगाज।

चन्द्रपाल प्रजापति

एक हिन्दू के लिए अयोध्या में श्रीराम मंदिर का उतना ही महत्त्व है जितना कि एक मुसलमान के लिए मक्का-मदीना का। इसी सोच पर आगे बढ़कर हमें नये भारत का निर्माण करना होगा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का मुद्दा बहुत पहले हल हो सकता था, लेकिन वामपंथी इतिहासकारों और कट्टर मुसलमानों ने ऐसा नहीं होने दिया।” हाल ही में अपनी आत्मकथा ‘जानएन्ना भारतीयन’ (मैं एक भारतीय) में यह खुलासा किया था इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता के. के. मोहम्मद पूर्व निदेशक उत्तरी क्षेत्र, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने। बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर का निर्माण लगातार रहा है. लेकिन, राम मंदिर को लेकर आंदोलन में शिरकत करने वाली बीजेपी सत्ता में आने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश या फिर आपसी सहमति से सुलझाने की बात कहकर टालती रहती है जो कि राम भक्तों को रास नहीं आती है।

इन दिनों जिस तरह से बीजेपी के सांसद और विधायक ताजमहल को लेकर बयान दे रहे हैं, उससे राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने राम मंदिर को लेकर बयान दिए हैं। इन सभी ने 2019 तक राम मंदिर का निर्माण हो जाने की बात कही है।

25 साल से सूनी रही सरयू में लाखों दीपक जगमगाए। एक नई उम्मीद की रोशनी दिखी। वो उम्मीद जो 6 दिसंबर, 1992 के बाद बोझिल हो चुकी थी. अयोध्या के दामन पर बाबरी विध्वंस का दाग़ लगा था तो गोधरा के बाद भड़की हिंसा का आरोप भी। अयोध्या से ही लौटने वाले कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस में सवार थे जो गोधरा कांड के शिकार बन गए थे। अयोध्या उस विडंबना का नाम बन गया था जो कभी राजनीतिक दलों के लिए जरूरी तो बाद में अछूत भी बन गया था। वही अयोध्या सियासत में मुद्दा थी तो यूपी प्रशासन के लिए कानून-व्यवस्था का सिरदर्द भी। अयोध्या अपनी ही जनता के लिए भय और आशंका का सबब बन गई थी। कर्फ्यू और सांप्रदायिक तनाव उसकी नियति बन चुका था।

15 साल बाद अयोध्या की धरती पर यूपी के किसी सीएम के पांव पड़े। एक साथ दो वनवास खत्म हुए। पहला 15 साल में किसी सीएम का अबतक अयोध्या न आना था तो दूसरा था अयोध्या में पहली बार भव्य तरीके से दीपावली का मनाना। अयोध्या में त्रेता युग को जीवंत करने की कोशिश हुई तो विकास के नाम पर रामराज्य का उद्घोष हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम और लक्ष्मण का राज्याभिषेक किया। ये प्रतीकात्मक राज्याभिषेक फिर से उस अयोध्या को जीवंत करने के लिए जरूरी था जिसकी पहचान हालात ने बदलकर रख दी थी।