नॉएडा : बच्ची को मिला जीवनदान, जेपी हॉस्पि टल में की गई बच्ची की लीवर ट्रांसप्लान्ट सर्ज री

नोएडा : सेक्टर 128 स्थित जेपी हॉस्पिटल ने आज उस मां को सम्मानित किया, जिसने अपने लीवर का कुछ हिस्सा अपनी डेढ़ साल की बेटी को दान कर उसे नई जिंदगी दी है। दरअसल ईराक से आई डेढ़ साल की बेबी फातिम़ा कॉन्जेनाईटल हेपेटिक फाइब्रोसिस ब्भ्थ्द्ध से पीड़ित थी, यह लीवर की दुर्लभ,जन्मजात एवं आनुवंशिक बीमारी है और उसके मॉ बाप उसे लेकर दिसंबर के महीने में भारत आए थे और यहां उन्होंने नोएडा के जेपी अस्पताल से अपनी बच्ची का इलाज करवाया। 18 जनवरी 2018 को लीवर ट्रांसप्लान्ट के डॉ अभिदीप चैधरी ने हाइपर-रीड्यूस्ड लेफ्ट लेटरल लीवर ग्राफ्ट सर्जरी द्वारा बच्ची का इलाज किया। मरीज़ को कुछ कार्डियक समस्या भी थी, ऐसे में पीडिएट्रिक कार्डियोलोजिस्ट डॉ आशुतोष मारवाह ने भी उसका इलाज किया। ईराक की बेबी फ़ातिमा के केस पर बात करते हुए डॉ अभिदीप चैधरी ने बताया, बेबी फातिमा को पैदा होने के तुरंत बाद जॉन्डिस (पीलिया) हो गया था, समय के साथ यह बढ़ता गया। जन्म के 6 सप्ताह बाद पता चला कि वह एक आनुवंशिक बीमारी एलेगिले सिन्ड्रोम से पीड़ित है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका असर लीवर, दिल और शरीर के अन्य हिस्सों पर पड़ता है। जांच करने पर पाया गया कि वह कॉन्जेनाइटल हेपेटिक फाइब्रोसिस की शिकार है। यह बीमारी लीवर और बाईल डक्ट को प्रभावित करती है। जन्म के 6 सप्ताह से लेकर 1 साल की उम्र तक बच्ची का वज़न 6 किलोग्राम ही रहा। वह कुछ खा नहीं पाती थी और सिर्फ तरल आहार ही ले पाती थी। बेबी फातिमा को कार्डियक समस्या (दिल) भी थी; ऐसे में पहले हॉस्पिटल की कार्डियोलोजी टीम ने उसका इलाज किया। साथ ही उन्होंने बताया कि बेबी फातिमा की हाइपर-रीड्यूस्ड लेफ्ट लेटरल लीवर ग्राफ्ट सर्जरी की। लीवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी के दौरान हमें एक और मुश्किल का सामना करना पड़ा। फातिमा की उम्र और वज़न के चलते उसका शरीर अपनी मां के लीवर को सपोर्ट नहीं कर रहा थ,इसलिए हमें हाना (फातिमा की मां) के लीवर का साइज़ बच्ची की ज़रूरत के अनुसार छोटा करना पड़ा। सर्जरी के दौरान हमने लीवर को काटा, इसकी मोटाई कम करने के बाद इसे ट्रांसप्लान्ट किया। अब मरीज़ को इम्यूनोसप्रेसेन्ट और अन्य ज़रूरी दवाएं दी जा रही हैं। मरीज़ और डोनर दोनों ठीक हो रहे हैं और अपने देश लौटने के लिए तैयार हैं।