फोनरवा संस्था को लेकर फिर हुआ मतभेद शुरू , नोएडा की आडब्ल्यूए ने उठाए सवालिया निशान

नोएडा के सेक्टर 52 में स्थित सामुदायिक केंद्र में कल रविवार को एजीएम की बैठक होने वाली है , लेकिन उससे पहले ही मतभेद शुरू हो चुके है | आपको बता दे की इस बैठक को लेकर कुछ फोनरवा के सदस्य पक्ष में है और कुछ सदस्य विपक्ष में है | वही इस मामले में फोनरवा के संयुक्त सचिव ने टेन न्यूज़ नोएडा ग्रुप में इस बैठक को लेकर कुछ सवालिया निशान फोनरवा के ऊपर लगाए है | उनका कहना है की नोएडा के समस्त सेक्टरों एवं सोसायटी के निवासियों को मूलभूत आवश्यकताएं प्राप्त हो सके औऱ समस्याओं से निजात मिले |

इस उद्देश्य के लिए अधिकांश सेक्टरों एवं सोसाइटी में आरडब्लूए का गठन किया गया था औऱ निःसंदेह ही आरडब्लूए ने शहर के निवासियों की बेहतरी औऱ शहर के विकास में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई जो कि वर्तमान में भी जारी है , लेकिन 2001 में शहर के ही कुछ लोगों ने आरडब्लूए के अभिभावक के रूप में फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (फोनरवा) का गठन किया औऱ स्वयं ही फोनरवा का चुनाव लड़ने एवं वोट का अधिकार प्राप्त कर फोनरवा के संस्थापक सदस्य बन गए औऱ बाद में फोनरवा के बायलॉज में संशोधन कर चुनाव लड़ने औऱ वोट का अधिकार देकर 2013 में 12 और आजीवन सदस्य बना दिए गए , जिसके कारण फोनरवा में संस्थापक सदस्यों एवं आजीवन सदस्यों की संख्या 20 हो गई |

जिससे फोनरवा को उद्देश्यहीन कर दिया गया , जिस फोनरवा का मूल उद्देश्य आरडब्लूए के अभिभावक के रूप में कार्य करना था औऱ फोनरवा के अन्य मूल सदस्यों आरडब्लूए के अध्यक्ष एवं महासचिव की भागीदारी को फोनरवा में बढ़ाना था | साथ ही आरडब्लूए के साथ कंधा से कंधा मिलाकर शहर का विकास कराना था , वही फोनरवा संस्थापक सदस्यों एवं आजीवन सदस्यों की सेवाभाव तक सिमट गई क्योंकि फोनरवा पर केवल संस्थापक सदस्यों औऱ आजीवन सदस्यों का ही एकाधिकार बना रहे , इसलिए लगातार एक रणनीति के तहत फोनरवा के मूल सदस्यों आरडब्लूए के अध्यक्ष एवं महासचिव को दरकिनार किया जाता रहा।

वही उन्होंने अपील की है की फोनरवा में लोकतांत्रिक व्यवस्था को जीवंत करने औऱ फोनरवा के मूल सदस्यों आरडब्लूए के अध्यक्ष एवं महासचिव को अपने अधिकार हेतु संगठित होकर गुप्त मतदान के द्वारा फोनरवा द्वारा बुलाई गई कल रविवार सेक्टर 52 के सामुदायिक केंद्र में एजीएम की बैठक में संस्थापक सदस्यों एवं आजीवन सदस्यों के फोनरवा में चुनाव लड़ने एवं वोट के अधिकार को समाप्त कराना होगा जिससे कि फोनरवा में लोकतांत्रिक व्यवस्था को जाग्रित किया जा सके औऱ फोनरवा के मूल सदस्यों आरडब्लूए के अध्यक्ष एवं महासचिव को अपने अधिकार प्राप्त हो सकें जिसके वास्तविक हक़दार हैं।

वही दूसरी तरफ इस मामले में सेक्टर 50 के अध्य्क्ष विमल शर्मा का कहना है कि मान सम्मान के रूप में संस्थापक एवं आजीवन सदस्य को संरक्षक मंडल एवं सलाहकार समिति में रखकर उनके अनुभव का लाभ लिया जा सकता है , लेकिन वोट डालने एवं चुनाव लड़ने का अधिकार केवल और केवल सेक्टर में चुने हुए अध्यक्ष एवं महासचिव को ही होना चाहिए |