डिजिटल बोर्ड्स से होती है 40 लाख की कमाई, समा जसेवी रंजन तोमर ने आर टी आई से मंगवाई जानकारी

डिजिटल बोर्ड्स से 40 लाख की कमाई , पर सरकारी योजनाओं को दिखाने में फिसड्डी समाजसेवी रंजन तोमर ने आर टी आई से मंगवाई जानकारी , योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की अपील

नॉएडा – युवा समाजसेवी एवं अधिवक्ता श्री रंजन तोमर द्वारा लगाई गई एक आर टी आई से कुछ सामाजिक हित सम्बन्धी खुलासे हुए हैं , डिजिटल ज़माने में किस प्रकार सरकारी योजनाओं को प्राधिकरण आम जनता तक आसानी से पंहुचा सकता है किन्तु क्रियान्वित नहीं कर रहा है, इस बात की बानगी इस जवाब से होती है।

शहर के सेक्टर 18 , एक्सप्रेस वे से पहले एवं अन्य जगह डिजिटल बोर्ड्स पर आप दिन भर प्राइवेट बिल्डर्स, मॉल ,बड़ी बड़ी कंपनियों इत्यादि के विज्ञापन देखते होंगे , किन्तु सरकारी योजनाओं को इन डिजिटल बोर्ड्स पर नहीं दिखाया जाता है , जबकि प्राधिकरण सिर्फ पैसा कमाने में लगा हुआ है सरकार द्वारा जिले की कोई भी योजना बोर्ड्स पर दिखाई नहीं देती है।

समाजसेवी रंजन तोमर से मिली जानकारी के अनुसार इन बोर्ड्स से होने वाली कमाई के बारे में प्राधिकरण से पूछा गया तो कोई जबाब नहीं दिया डिजिटल बोर्ड्स से प्राधिकरण को 39. 45 लाख की धरोहर राशि इसी साल 28 जून 2018 को प्राप्त हुई है , साथ ही यह पूछा गया था के क्या इन बोर्ड्स पर सरकारी योजनाओं सम्बन्धी बात भी दर्शाई जाती है , यदि हाँ तो जानकारी दी जाए , जिसके एवज़ में जन सूचना अधिकारी ने यह कहा है के प्रधान मंत्री जी के स्वागत के लिए दिए गए विज्ञापन , स्वच्छ भारत अभियान से सम्बंधित एवं लू से बचाव के विज्ञापन दिखाए गए , अब सवाल यह उठता है के क्या प्रधानमंत्रीजी का स्वागत करना सरकारी योजना है ? सिटीजन चार्टर , गाँवों और पिछड़ों के लिए सरकारी योजनाओं सम्बंधित जन जागरूकता के लिए प्राधिकरण क्या कर रहा है ? क्या इन डिजिटल एल ई डी बोर्ड्स के सहारे आसानी से यह कार्य नहीं किया जा सकता ? फिर भी प्राधिकरण ऐसा नहीं कर रहा है। क्या प्राधिकरण उस बोझ से बचना चाहता है जो उसपर पड़ेगा यदि जनता जागरूक होगी और शिकायतें ज़्यादा आएँगी , अगर ऐसा है तो यह बेहद शर्मनाक है ,क्यूंकि प्राधिकरण का काम ही यहाँ की समस्याएं सुलझाना है , एक बड़ा सवाल यह भी है के इन बोर्ड्स से संविदाकर्मी करोड़ों की कमाई कर रहे हैं तो फिर उन्हें ठेका इतने सस्ते में कैसे दे दिया गया ? हमारी मांग हे कि इसकी जांच हो ,साथ ही प्राधिकरण स्वयं डिजिटल बोर्ड्स को अपने हाथ में क्यों नहीं ले लेता जिससे कमाई के साथ साथ जनहित भी होता रहे।