यूपी -बिहार में सबसे ज़्यादा सूक्ष्म, लघु औ र मध्यम उद्योग , गुजरात और महाराष्ट्र पीछे – आर टी आई से खुलासा

यूपी -बिहार में सबसे ज़्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग , गुजरात और महाराष्ट्र पीछे – आर टी आई से खुलासा

नॉएडा के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा आर टी आई से हुआ खुलासा

नॉएडा – गुजरात में हाल ही में बिहार मूल के नागरिकों के खिलाफ हुए हमलों और महाराष्ट्र में कई वर्षों से होते आ रही इसी प्रकार की घटनाओं के बाद एक सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है , जिससे यह बात सामने आई है की बिहार में (588200 )सबसे ज़्यादा सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग मौजूद हैं , जबकि उत्तर प्रदेश ( 538697 ) और बिहार (588200) को मिलाकर ऐसे उद्योगों की संख्या ग्यारह लाख से भी ऊपर बनती है , जबकि गुजरात (433654 ) एवं महाराष्ट्र (567486 ) को यदि जोड़ा जाए तो संख्या दस लाख को ही पार कर पाती है , देश की राजधानी दिल्ली में भी 54395 छोटे उद्योग हैं , जबकि देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में मात्र 264496 उद्योग हैं। यह खुलासा युवा समाजसेवी रंजन तोमर की भारत सरकार के सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय में लगाई गई आर टी आई से हुआ है।

इन बातों से कई और बात सामने आती हैं

1. बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में हो रहे बर्ताव से वहां की जनता में रोष है ,जिससे हो सकता है के यहाँ की जनता इन्ही उद्योगों में नौकरी ढूँढना शुरू करदे अथवा अपने नए छोटे उद्योग स्थापित कर ले।
2. यदि यूपी बिहार में इसी तरह उद्योग बढ़ते रहे और पलायन रुक गया तो इन राज्यों की तरक्की को कोई नहीं रोक सकता एवं महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को श्रमिकों की भारी कमी पड़ सकती है जिससे वहां के उद्योगों और अर्थव्यवस्था की कमर भी टूट सकती है।
3. राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश में इस तरह के उद्योगों की कमी है , जिसपर वहां की सरकार को ध्यान देना होगा।
4. दिल्ली में उद्योगों की संख्या पचास हज़ार के पार है तो सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा के इनमें से कौन से ऐसे उद्योग प्रदूषण फैला रहे हैं ,उन्हें बंद करने की चेस्टा होनी चाहिए।

यह सर्वविदित है के इस तरह के छोटे उद्योग जोखिम उठाने वाले नव साहसी व्यवसाइयों द्वारा स्थापित किये जाते हैं साथ ही इनमें अत्यधिक रोज़गार के अवसर होते हैं , ऐसे में यूपी बिहार में इनका बढ़ना हर्ष की बात है , साथ ही अन्य राज्यों में भी सरकार द्वारा इन्हे बढ़ावा देना चाहिए ताकि रोज़गार समस्या से निजात मिले , पलायन कम हो, राज्यों में आपसी भाईचारा हो एवं देश आगे बढे।