बच्चों की फिल्मों का अपना एक सिनेमा है — मा धवी आडवानी

बच्चों की फिल्मों का अपना एक सिनेमा है जिसमे एनीमेशन या प्रेरक फिल्मे बनाई व दिखाई जाती है जिनसे उनका विकास भलीभांति हो सके। आजकल हिंदी और वर्ल्ड सिनेमा दोनों ही बच्चो को लेकर एक अच्छा सिनेमा तैयार कर रहे है जिससे बच्चो के मनोरंजन के साथ साथ उन्हें नया ज्ञान और अच्छी जानकारी मिल रही है यह कहना था चिल्ड्रेन्स फिल्म फोरम के अन्तर्गत हुए पैनल डिस्कशन में माधवी आडवानी का। जो बच्चो के उत्थान के लिए कई सामाजिक कार्यो से जुडी हुई है। इस अवसर पर संदीप मारवाह ने कहा की हमने आज के ज्वलंत मुद्दों जैसे सफाई, शिक्षा, ड्रग्स, बाल मजदूरी पर कई शार्ट फिल्म बनायीं है जिन्हें हम स्लम एरिया में जाकर लोगो के साथ साथ बच्चो को भी दिखाते है ताकि वह अपने अधिकारों को जान सके और शिक्षा व स्वछता दोनों को अपना सके। इस अवसर पर बबीता शर्मा ने कहा की किसी भी बात को कोई बच्चा दस बार कहने पर भी नही समझ पता पर फिल्म और मूविंग इमेज से वह उसे आसानी से समझ जाता है और सीखता है इसलिए हमें हमेशा बच्चो को एक अच्छा सिनेमा देना चाहिए। इस अवसर पर बच्चो द्वारा बनाई गयी कई फिल्मे भी दिखाई गयी जिसमे एक है चिट्ठी जिसका निर्देशन किया है मोहित अरोड़ा ने जो कहानी है एक माँ की जिसका बेटा एक फौजी है जिसके घर से चले जाने के बाद उस माँ पर क्या बीतती है यह दिखाया गया है।