नेफोवा ने भारतीय दिवाला और आशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) को अटके परियोजनाओं को पूरा करने को सुझाव भेजे

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (06/07/2022): आजकल कई रियलएस्टेट डेवलपर अपने परियोजनाओं को विभिन्न कारणों से पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में खुद दिवालिया घोषित होने हेतु एनसीएलटी जा रहे या कई सालों के लंबे इंतजार के बावजूद घर ना मिलने की स्थिति में या डेवलपर को ऋण देने वाला फाइनेंसियल क्रेडिटर बकाया वसूली के लिए बिल्डर को एनसीएलटी घसीट रहे। नेफोवा ने रियलएस्टेट परियोजनाओं के प्रभावी और शीघ्र समाधान के लिए भारतीय दिवाला और आशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) को सुझाव भेजे हैं।

नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बताया कि भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने अपनी अधिसूचना दिनांक 14.06.2022 द्वारा रियल एस्टेट परियोजनाओं के प्रभावी और शीघ्र समाधान के लिए विभिन्न हितधारकों/आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए थे, इसी को ध्यान में रखते हुए नेफोवा ने बोर्ड के विचार के लिए निम्नलिखित सुझाव भेजे हैं –

1. कॉरपोरेट देनदारों (रियल एस्टेट डेवलपर्स) के सीआईआरपी के समाधान में सबसे बड़ी बाधा हैं विभिन्न हितधारकों के प्रतिस्पर्धी हित और उनके बीच आबंटियों, जो सीआईआरपी प्रक्रिया में देरी या विफलता के मामले में वास्तविक पीड़ित हैं, के अधिकार।

2. विफलता या देरी का एक अन्य कारण कॉर्पोरेट देनदारों के पूर्व-प्रबंधन द्वारा सहयोग ना करने का विरोधी दृष्टिकोण भी है जिसके कारण आरपी (रेसोलुशन प्रोफेशनल) के पास जानकारी का आभाव रहता है और अन्य देनदारों द्वारा समाधान ढूंढने के बदले दिवालियापन घोषित करवाने की होड़ रहती है।

3. तदनुसार, कोड के तहत एक अचल संपत्ति परियोजना के समाधान को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से एक नई योजना निर्धारित की जानी चाहिए और इसे किसी अन्य कॉर्पोरेट देनदार के बराबर नहीं माना जा सकता है

4. यदि किसी रियल एस्टेट डेवलपर के सीआईआरपी को शुरू करने के लिए कोई आवेदन दायर किया जाता है, तो आदर्श रूप से एडजुकेटिंग ऑफिसर को कॉर्पोरेट देनदार को अपनी वित्तीय व्यवहार्यता (फाइनेंसियल वायाबिलिटी) दिखाने का अवसर देना चाहिए, भले ही वित्तीय लेनदार या परिचालन लेनदार द्वारा किए गए दावों के बावजूद जिसने आवेदन दायर किया हो।

5. यदि रियलएस्टेट परियोजना का कॉर्पोरेट देनदार विभिन्न वित्तीय लेनदार (फाइनेंसियल क्रेडिटर) या परिचालन लेनदार (ऑपरेशनल क्रेडिटर) द्वारा दाखिल किये गए दावों के बावजूद अपनी वित्तीय व्यवहार्यता स्थापित करने में सक्षम है, तो एडजुकेटिंग ऑफिसर को सबसे पहले रियलएस्टेट परियोजना के कॉर्पोरेट देनदार को निर्देशित करना चाहिए कि वह देनदार एडजुकेटिंग ऑफिसर के संतुष्टि के लिए परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था दिखाए, एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर परियोजना को पूरा करे और कॉर्पोरेट देनदार द्वारा किए जा रहे कार्यों की निगरानी के लिए एंट्रिम रेसोलुशन प्रोफेशनल (आईआरपी) नियुक्त करे जो कॉर्पोरेट देनदार द्वारा फण्ड की व्यवस्था और खर्च की निगरानी करे।

6. यदि एडजुकेटिंग ऑफिसर कॉर्पोरेट देनदार द्वारा दिए गए वित्तीय विवरण से संतुष्ट नहीं है, तो निर्माणाधीन परियोजना को टेकओवर कर पूरा करने के लिए सबसे पहला विकल्प स्थानीय प्राधिकरण निकाय को दिया जाए। यदि स्थानीय प्राधिकरण निकाय परियोजना को पूरा करने को तैयार नहीं तो घर खरीदारों के एसोसिएशन से पूछा जाए कि क्या वो पूल और बिल्ड विधि के माध्यम से किसी आईआरपी के देखरेख में परियोजना को पूरा करने को इच्छुक हैं? उपरोक्त दोनों मामलों में, यानी स्थानीय प्राधिकरण निकाय या घर खरीदारों के एसोसिएशन के माध्यम से परियोजना के पूरा होने के बाद ही अन्य दावेदारों को बचे हुए अतिरिक्त राशि या अन्य बचे हुए संपत्ति के विक्रय से आये हुए राशि में से देने पर विचार किया जाएगा।

7. यदि परियोजना को पूरा करने के लिए न तो स्थानीय प्राधिकरण और न ही घर खरीदार आगे आते हैं, तभी आईआरपी को परियोजना-वार सीओसी बनाने के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए और अधिकृत प्रतिनिधि नियुक्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जिन बैंकों/वित्तीय संस्थानों ने घर खरीदारों को होम लोन दिया है, उन्हें भी सीओसी में यथानुपात स्थान दिया जाना चाहिए। साथ ही बैंकों/वित्तीय संस्थानों को घर खरीदारों से अपने बकाया राशि के वसूली के एवज में अलग से कार्यवाही शुरू करने से रोक दिया जाना चाहिए।

8. सीआईआरपी का मूल उद्देश्य रियलएस्टेट परियोजना को सम्पूर्ण कराने का ही होना चाहिए और सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ साथ एडजुकेटिंग ऑफिसर का भी यही लक्ष्य होना चाहिए। एडजुकेटिंग ऑफिसर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि रियल एस्टेट कॉरपोरेट देनदार के किसी भी संपत्ति पर पहला अधिकार घर खरीदारों का होगा जिसका उपयोग परियोजना को पूरा करने के लिए किया जाएगा। तदनुसार, परियोजना को पूरा करने हेतु सम्बंधित समाधान आवेदक / स्थानीय प्राधिकारण निकाय / खरीदार संघ जो आरपी की देखरेख में निर्माण कर रहा है, के सहायता के लिए आवश्यक आदेश पारित करना चाहिए।

9. जब परियोजना पूरा हो जाए, तभी किसी भी घर खरीदार, अन्य हितधारकों, फाइनेंसियल क्रेडिटर और प्राधिकरण के रिफंड के दावों विचार किया जाए।