सनेहीं मंडल कवि सम्मेलन में दमदार , रंगभरी और उमंगभरी रचनाओंकी बारिश

दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन ‘सनेही मंडल’ , संस्कार भारती नोएडा एवं आर. डब्ल्यू. ए. सेक्टर-52, के संयुक्त तत्वावधान में ‘ सम्मान समारोह ‘ एवं ‘कवि सम्मेलन’ का आयोजन डा गुलज़ार देहलवी की अध्यक्षता एवं हास्य कवि बाबा कानपुरी के संचालन में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि थे दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष डा राम शरण गौड़, विशिष्ट अतिथि फोनरवा नोएडा के अध्यक्ष श्री एन पी सिंह, एवं इन्द्र प्रस्थ साहित्य भारती नोएडा के अध्यक्ष श्री शान्ति कुमार स्याल।
कवि सम्मेलन में डा अशोक मधुप, डा नेहा आस, डा जय प्रकाश मिश्र , मोहन द्विवेदी, श्रीमती सीमा अग्रवाल, कुसुम पालीवाल, उमाशंकर शुक्ल,प्रेम सागर प्रेम, विनय विक्रम सिंह, अटल मुरादाबादी ने काव्यपाठ किया।



डा अशोक मधुप की वाणी वंदना के बाद मंच संचालन करते हुए बाबाकानपुरी ने महानगरीय जीवन शैली पर अपने विचार एक दोहे के माध्यम से व्यक्तकिये—-

खाने पर प्रतिबंध है,संयुक्त छप्पन भोग।
उन्हें खिला सकते नहीं, जो है मूंगे लोग।।
अपनी व्यंज्ञ रचना से हास्य कवि मोहन द्विवेदी ने कहा—-
पूरी संसद लगी हुई है ललुआ की रखवाली में,
ललुआ नंगे पांव मस्त है बकरी की चरवाही में।
डा अशोक मधुपुर ने गीत पढ़ा—-
धर्म के नाम पर मत कफ़न बांटिए
मत सियासत के खातिर वतन बांटिए।
गीतकार सीमा अग्रवाल जी का गीत बहुत सराहा गया—-
मेरी आंखों की पीर चुरा तुम हंसी वहां भर जाती हो।