पवन यादव
ऐसी विपदा के समय आप जहॉ भी जैसे भी जिस हालात में उसी के अनुरूप वहाँ काम कर लेना चाहिए। मैंने सोचा था 23 को जाऊंगा 24 को परिवार को लेकर आ जाऊँगा। 23 को अचानक रात 10 बजे बंद हुआ और बढ़ते -2 अब 1 महीने से ज्यादा हो गया। पर जैसा देश वैसा भेष बस 25 से लग गया अन्नदाता को महामारीं के बारे में जाग्रत करने में, गाँव की सफाई में। एक लाउडस्पीकर लगवाया गाँव के लोगो को सरकार की सूचनाएं व बचाव कब उपाय आदि बताता, डेली सुबह 9 से 12 बजे तक सफाई अभियान दोपहर 1 बजे से 6 बजे तक आचार्य विजय कौशल महाराज की राम कथा व आचार्य अनुरूधाचार्य द्वारा भागवत कथा का आनन्द घर बैठे ग्राम वासियों को दिलाता हूं। दिन में कीटनाशक का छिडकाव, sanitization शाम को कभी 2 फॉगिंग व रात 7.30 बजे से ग्राम वासियों को साफ़ाई अभियान में सहयोग के लिए धन्यवाद करता हु उनसे जल संरक्षण व वृक्षारोपण गाँव के युवाओं में बढ़ी नशाखोरी कैसे कम हो उसके बारे में चर्चा करता हु। बस जिस हाल में हो जहॉ भी हो वही समाज के लिए काम करो। डेली सुबह शाम आधा 2 घंटा सेन्चुरी आपर्टमेंट के लोगो की सुरक्षा उनकी सुविधाओं पर काम करता हु। मैं मानता हूं भगवान ने जहाँ काम लेना है वहाँ भेज दिया बस जहॉ हो वही शुरू हो जाओ।