आपको बता दे की शहर के सेक्टरों के लिए 400 करोड़ से भी ज़्यादा का प्रावधान नॉएडा अथॉरिटी द्वारा किया गया है।
संस्था के अध्यक्ष रंजन तोमर ने कहा के नॉएडा में कई बहुत बड़े गाँव हैं, जहाँ बहुत सारे कार्यों की आवश्यकता है, कई गाँवों में समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, सदरपुर, सर्फाबाद, बहलोलपुर,अट्टा, मामूरा, छलेरा आदि जैसे गाँवों में हज़ारों लाखों की आबादी निवास करती है जो शहर में ही जाकर काम करती है, इसमें मूल निवासी बेहद कम हैं, ऐसे में ग्रामीणों को या तो सेक्टरों के बराबर या उससे अधिक ही बजट मिलना चाहिए था क्यूंकि बजट समस्याओं की बहुतायत देखकर होना चाहिए न की गाँव या शहर देखकर।
संस्था के अजीत सिंह तोमर ने कहा की प्राधिकरण कब तक बंद कमरों में ऐसे ही गाँवों और शहर का भविष्य निर्धारित करता रहेगा, जबतक एक लोकतान्त्रिक प्रणाली न बनाई जाए जो प्राधिकरण के निर्णयों की जवाबदेही सुनिश्चित कर सके, शहर हो या गाँव सभी को इससे फ़ायदा नहीं हो सकेगा ।
उपाध्यक्ष अजय चौहान ने कहा की नॉएडा में 81 गाँवों के हिसाब से यदि 125 करोड़ को विभाजित कर दिया जाए तो प्रत्येक गाँव को 1.5 करोड़ के करीब ही मिलता है जो किसी भी विकास कार्य के लिए बहुत कम है, जबकि सैंकड़ो करोड़ तो प्राधिकरण शहर की सुंदरता, साइकिल स्टैंड, नालों की सफाई आदि में खर्च देता है। संस्था इस बाबत मुख्यमंत्री एवं विधायकों तक बात पहुचायेगी।