टेन न्यूज नेटवर्क
पटना (24 मार्च 2022): एक कहावत बिहार में बहुत मशहूर है ‘गुरु से कभी भी चालाकी नहीं’ ये कहावत हाल के दिनों में बिहार की सियासत में पूरी तरह से फीट बैठ रहा है। बिहार की सियासत में एक युवा नेता 2020 के चुनाव के बाद खासा चर्चा में था, क्योंकि वह सत्ता और विपक्ष के बीच पुल की भांति खड़ा था।
उस नेता का नाम है VIP (विकासशील इंसान पार्टी) के मुखिया, और सूबे के पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी। जी हाँ यह वही मुकेश सहनी हैं,जो खुद तो 2020 के विधानसभा चुनाव में हार गए लेकिन उनकी पार्टी के चार विधायक जीतकर विधानसभा पंहुच गए।
ज्ञात हो कि 2020 के विधानसभा चुनाव में VIP ने एनडीए गठबंधन के घटकदल के रूप में चुनाव लड़ा था, और एनडीए की सरकार बनी थी।मुकेश सहनी को विधानपार्षद बनाकर पशुपालन विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
बात तब बिगड़ गई जब मुकेश सहनी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया,और भाजपा के खिलाफ कई सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा। सहनी का यही चाल उनपर भाड़ी पर गया।और मौका पाते ही भाजपा ने भी बोचहां सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर जोरदार पलटवार कर दिया।आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में VIP के मुसाफिर पासवान ने जीत हासिल किया था,लेकिन उनकी असमय मृत्यु हो गई थी।
कयास लगाया जा रहा था कि सहनी अब एनडीए पाले से नाता तोड़ सकते हैं, लेकिन उससे ठीक पहले भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए मुकेश सहनी के बचे तीनों विधायक को अपने पाले में शामिल कर लिया।और मुकेश सहनी अपने ही बिछाए जाल में उलझ गए।