शहादत भी शहीदों की बेकार हो गई
इंसानियत की हदें अब पार हो गई
सियासत भी अब तो बीमार हो गई
इंसानों के मुद्दे पे जब है नही जवाब
बातें गधों पे भी अब दो चार हो गई
शहीदों के बच्चे ही उठाते सवाल अब
शहादत भी शहीदों की बेकार हो गई
बाहुबली है कोई बलात्कारी भी यहाँ
राजनीती तो मजहबी व्यापार हो गई
गिरा जमीर भी सियासत का इस कदर
इक फ़ौज ही गद्दारों की तैयार हो गई
कपिल कुमार
02/03/2017