जब से उत्तर प्रदेश मे बीजेपी की सरकार आयी है और योगी आदित्यनाथ ने मुख्य मंत्री की कुर्सी समा ली है तब से कुछ व्यक्ति जो समय के साथ पार्टी बदलते है और सत्ताधारी पार्टी मे शामिल होकर वो नेता अपने आपको पार्टी का बड़ा नेता समझने लगते है और गलत तरीके से आम जनता और अधिकारिओ पर रौब जमाते है। सत्ता का लाभ उठाने वाले लोग किस तरह गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं, यह ग्रेटर नोएडा में देखा जा सकता है। शहर में भाजपा का झंडा लगी गाड़ियों की भरमार हो गई है। कलक्ट्रेट, एसएसपी आफिस, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण समेत तमाम सरकारी कार्यालयों के बाहर भाजपा का झंडा लगी गाड़ियां नजर आ जाएंगी। पार्टी का झंडा लगाकर अधिकारियों पर गलत कार्य कराने के लिए रौब झाड़ा जा रहा है। इस काम में दूसरे दलों से जुड़े नेता अधिक हैं। खासकर इसमें सत्ता के नाम पर निर्माण कार्यों के ठेके, टेंडर आदि लेने वाले ठेकेदार अधिक हैं। उन्होंने प्रदेश में सत्ता बदलते ही अपनी गाड़ियों पर लगे पार्टी के झंडे बदल लिए हैं। वहीं इस तरह की शिकायत मिलते ही जिला इकाई हरकत में आ गई है। पार्टी जिलाध्यक्ष विजय भाटी ने 15 अप्रैल से गैर भाजपाइयों द्वारा गाड़ियों पर लगाए जा रहे पार्टी के झंडे को उतरवाने के लिए अभियान शुरू करने का निर्देश कार्यकर्ताओं को दिया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा ऐसे शहर हैं, जहां सत्ता के नाम पर लोग प्राधिकरण और प्रशासन में निर्माण कार्यों के टेंडर, जमीन की रजिस्ट्री, आबादी विस्थापन, छह फीसद भूखंडों की लोकेशन लगवाने, शस्त्र लाइसेंस बनवाने व मिट्टी खनन के काम में लाभ उठाते हैं। 2007 से 2012 तक जिन लोगों ने अपनी गाड़ियों पर बसपा का झंडा लगाकर पांच वर्ष खूब मिलाई काटी, उन्होंने प्रदेश अखिलेश यादव की सत्ता आते ही पार्टी का झंडा बदल लिया था। हैरत की बात यह है कि जिन लोगों की तूती बसपा सरकार में बोलती थी, उन्हीं लोगों का सपा सरकार में भी एकक्षत्र राज था। सपा सरकार में भी इन्होंने मात्र गाड़ियों पर लगे झंडे बदलकर निर्माण कार्यों के टेंडरों में खूब चांदी काटी। प्रदेश में अब भाजपा की आदित्यनाथ योगी की सरकार बन गई है। सत्ता का लाभ उठाने वालों ने अब अपनी गाड़ियों पर सपा, कांग्रेस और बसपा का झंडा हटाकर भाजपा का लगा लिया है। दूसरे दल से जुड़े एक नेता ने अपने आपको भाजपा नेता बताकर कुछ दिन पहले कलक्ट्रेट पर एडीएम से गलत कार्य के लिए दबाव बनाया था। प्राधिकरण में भी ऐसे लोग मंडराने लगे हैं। पंद्रह दिन पहले प्राधिकरण सीईओ पर एक नेता ने रौब झाड़ा था। इसकी शिकायत पार्टी से भी की गई थी।
दूसरे दलों के नेताओं द्वारा भाजपा के झंडे अपनी गाड़ियों पर लगाने की शिकायत हर रोज मिल रही है। कुछ नेताओं ने अपने कार्यालयों और घरों के ऊपर भाजपा के झंडे लगा लिए हैं। अधिकारियों पर भी गलत कार्यों के लिए दबाव बनाने की शिकायत मिली है। पार्टी ऐसे नेताओं के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराएगी। इससे पार्टी की छवि खराब होती है। पार्टी कार्यकर्ता 15 अप्रैल से मकानों और गाड़ियों से झंडे उतरवाने का अभियान शुरू करेंगे।