संविधान निर्माताओं की उम्मीदों के मुताबिक सिटीजन चार्टर पर नॉएडा में मर रहा धीमी मौत

श्री रंजन तोमर , शोधकर्ता

प्रोफेसर (डॉक्टर ) अरविन्द पी भानू , एडिशनल डायरेक्टर , जॉइंट हेड एमिटी विश्वविद्यालय

‘सिटीजन चार्टर’ कानून नॉएडा शहर के लिए जादू की छड़ी के समान है , पर आम जनता में इसके भीतर छुपी शक्ति की जानकारी ही नहीं है , अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान , प्रशाशन की कमियों को उजागर करना, उनसे अपने लटके काम करवाना एक फ़ोन करने के बराबर आसान है , पर न प्राधिकरण यह चाहता है के ऐसा हो और न ही जनता में इसके प्रति जाग्रति फैलती है , असल में देश भर में 750 से ज़्यादा ‘ सिटीजन चार्टर ‘ कानून राष्ट्र से लेकर राज्य स्तर एवं प्राधिकरण स्तर पर भिन्न सरकारी संस्थाओं ने अधिनियमित किये हुए हैं

क्या है सिटीजन चार्टर ?

संविधानिक विशेषज्ञ श्री अरविन्द पी भानू , जो एमिटी विश्विव्यालय के एडिशनल डायरेक्टर हैं के अनुसार सिटीजन चार्टर ऐसा कानून है जिसके तहत सरकारें जनता के कार्यों और उनकी समस्याओं का निस्तारण एक समय सीमा के तहत पूर्ण करने को बाध्य हैं , यदि वो ऐसा नहीं करती हैं तो सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही का भी प्रावधान है , नॉएडा प्राधिकरण ने भी इस कानून का पालन करते हुए ‘नॉएडा सिटीजन चार्टर’ बनाया है ,हालाँकि इससे सम्बंधित बिल भारत की लोक सभा में पेश तो हो चुका है अपितु पारित नहीं हुआ , ऐसे ही सैंकड़ो सिटीजन चार्टर देश में सरकारों ने लागू किये और वह सुशाशन की नज़ीर माने जाते हैं। बिल पास न होने के बावजूद यह भिन्न चार्टर सही तरीके से काम कर रहे हैं।

 

 

नोवरा अध्यक्ष श्री रंजन तोमर जो एक शोधकर्ता भी हैं का कहना है की नॉएडा के लिए यह इसलिए और भी महत्व पूर्ण है क्योंकि यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों से पंचायत प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है एवं गरीब और अनजान जनता को अपनी परेशानियों को सुलझाने के लिए अब प्रधान तक का सहारा नहीं है, अपना काम छोड़कर हर छोटी बड़ी समस्या लेकर प्राधिकरण के ऑफिस तो लोग जा नहीं सकते , दूसरा शहरी क्षेत्रों में पढ़े लिखे किन्तु व्यस्त लोगो की बहुत बड़ी तादाद है जो परेशानी को स्वयं ठीक करने लायक समय भी नहीं निकल सकते किन्तु हाँ , इ क्रांति का इस्तेमाल करने में आगे हैं !

कितनी आसानी से परेशानियां ठीक की जा सकती हैं

सामाजिक कार्यकर्ता रंजन तोमर एवं उनकी संस्था नॉएडा विलेज रेसिडेंट्स एसोसिएशन द्वारा नॉएडा प्राधिकरण से मिलकर कई बार इस कानून को सुदृढ़ बनवाने में अपना योगदान दिया , रंजन बताते हैं के कैसे ग्रामीण लोग भी आसानी से इस सेवा का उपयोग कर सकते हैं , यदि आपके यहाँ गन्दा पानी सप्लाई आ रहा हो , बिजली समस्या हो ,गैरकानूनी कब्ज़े की समस्या हो , जल बर्बाद हो रहा हो , पार्क में छंटाई की आवश्यकता हो , नाली टूटी हो ,रोड टूटा हो , सीवर की समस्या हो , जंगली जानवरों से परेशानी हो आदि आप ऑनलाइन या फ़ोन के माध्यम
से समस्या को प्राधिकरण पर रिपोर्ट कर सकते हैं

क्यों है ज़रूरत ?

जानकारी की कमी से बहुत सारे नुक्सान देश की जनता हो रहे हैं ,हमारा शहर एक आदर्श शहर बनकर उभर सकता है जो इन समस्याओं को स्वयं ठीक करवाने वाला होगा, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पाने में भी कारगर होगा , प्राधिकरण की जवाबदेही बढ़ेगी एवं इसके बाद यह मॉडल पूरे देश में भी लागू किया जा सकता है जिससे देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा , यहाँ तक की यह मॉडल अविकसित एवं विकासशील देशों के लिए भी बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।

शुरआत बेहद अच्छी थी पर धीरे धीरे कमज़ोर पड़ता जा रहा चार्टर

प्राधिकरण द्वारा इस कानून को लगातार दरकिनार करने की कोशिश की है , एक समय ऐसा भी था जब 96 प्रतिशत समस्याएं , जो सिटीजन चार्टर पर डाली जाती थी उनका निस्तारण हुआ करता था , फिर धीरे धीरे चीज़ें धीमी पड़ती चली गई।

2015 में जब से सिटीजन चार्टर लागू हुआ तब से तीन जुलाई 2018 तक की रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आये –

इस दौरान कुल 114199 शिकायतें सभी माध्यमों से प्राप्त हुई , जिनमें से मात्र 44209 का निस्तारण समय से हुआ , जबकि 66842 को निर्धारित समयसीमा में निस्तारित नहीं किया जा सका , फिर भी यदि दोनों को जोड़ा जाए तो कुल 111051 का निस्तारण प्राधिकरण कर पाया , हैं जिनकी समय सीमा जा चुकी थी , जबकि 699 समय सीमा के भीतर की शिकायतें निस्तारण की कतार में थी।

यदि इस जानकारी का आंकलन किआ जाए तो प्राधिकरण 58 .53 प्रतिशत समस्याओं का निस्तारण समयसीमा के बाहर ही कर पाया जो की दुखद और चौंकाने वाला है , सिटीजन चार्टर कानून के तहत यदि अफसर समय से परेशानी दूर नहीं करते तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाती है , साथ ही उनके वेतन से पैसे काट लिए जाते हैं , किन्तु प्राधिकरण ऐसा कुछ नहीं करता , यदि ऐसा होता तो आधे से ज़्यादा कर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही होती और वेतन कटता।

गौरतलब यह भी है के समयावधि एवं समयावधि के बाद समस्याओं के निस्तारण का प्रतिशत दिसंबर 2016 में समाजसेवी एवं नोवरा अध्यक्ष रंजन तोमर की आरटीआई से तकरीबन 96 प्रतिशत था।

 

वहीँ 25 मार्च 2020 से दिनांक 20 अगस्त 2020 तक कितनी शिकायतें सिटीजन चार्टर पर प्राप्त हुई एवं कितने का समय पर निस्तारण हुआ तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। इस समयावधि में 6583 शिकायतें प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत की गई जिनमें से मात्र 1363 का ही वह समय से निस्तारण कर पाए , अर्थात लगभग 20 प्रतिशत समस्याओं का ही निस्तारण समय से हो पाया।

अब वेबसाइट पर जानकारी तक नहीं
नॉएडा सिटीजन चार्टर की जानकारी , कितनी समस्याएं मिली और कितनी का निस्तारण हुआ , यह सब ‘पब्लिक रिपोर्ट ‘ के माध्यम से आम जनता देख सकती थी , किन्तु अब वेबसाइट ने इस बाबत काम करना बंद कर दिया है , ऐसी कोई भी जानकारी आम लोगों तक साझा नहीं की जा रही है , न ही प्राधिकरण सिटीजन चार्टर को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी प्रयास कर रहा है , ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की सिटीजन चार्टर धीमी मौत मारा जा रहा है।

प्राधिकरण फिरसे जागृत करे सिटीजन चार्टर , देश को रास्ता दिखाए
इस शोध से यह स्पष्ट है की यदि नॉएडा प्राधिकरण सिटीजन चार्टर को सही तरीके से लागू करे तो वह देश भर के लिए विकास ,नागरिक सशक्तिकरण का , सुशाशन का और साथ ही साथ सतत विकास लक्ष्यों के लिए बहुत बड़ा उदाहरण पेश करेगी। ऐसे में सीईओ महोदया सिटीजन चार्टर को पुनर्जीवित करने का प्रयास यदि करती हैं तो वह क्षेत्र ही नहीं देश के लिए एक बड़ा कदम होगा।