टेन न्यूज़ नेटवर्क
नोएडा (08/05/2023): टेन न्यूज़ नेटवर्क की कार्यक्रम ‘विशेष मुलाक़ात : संजीवनी एक संघर्ष की कहानी’ में अलकनंदा इंस्टीट्यूट फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (AIPA) के प्रसिद्ध कथक प्रतिपादक और निदेशक अलकनंदा दासगुप्ता ने खास बातचीत की। पेश है उनके बातचीत के प्रमुख अंश।
एंकर ने कहा कि एक कलाकार की उत्पत्ति कैसे हुई, आप कथक के प्रति प्रेरित कैसे हुए और आपका बचपन कैसा बिता? इसके जवाब में अलकनंदा दासगुप्ता ने कहा कि कला आप में एक डेस्टिनी होती है। वो आप चुनते नहीं है, शायद पिछले जन्म का कुछ होगा। मुझे बचपन से ही पता था कि मुझे एक डांसर बनना है। मम्मी पापा मुझे गाने की क्लास में भेजते थे लेकिन मैं रो-रो कर वापस आ जाती थी कि मुझे डांस करना है। मैं अपने घर पर पहली डांसर हूं। डांस मेरे अंदर बचपन से ही था मां-बाप से बहुत सपोर्ट मिला। लेकिन स्कूल में बहुत दिक्कत हुआ और उन्हें लगता था कि डांस में कोई करियर नहीं है। 30 साल पहले लोगों की यह सोच थी कि एक क्लासिकल डांसर बनोगी तो कमाओगी और खाओगी कैसी और आर्टिस्टिक को तो कुछ सोचा ही नहीं जाता था। यह अपनी हिम्मत होती है। आपको मेहनत करना चाहिए टाइम मैनेजमेंट करना आना चाहिए और सही दिशा मिलना चाहिए जो कि मुझे मेरे मां और मेरे गुरु ने सही तरीके से दिया है और मैंने उसे निभाया है। कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं है। अगर आपमें संकल्प, जिद्द और हुनर है तो आप जिंदगी में कोई भी चीज कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिंदगी में थोड़ी पागलपंती जरूरी है और पागलपंती ही है जो मुझे जिंदगी में आगे लेकर जाती है। मुझे जिंदगी को इंजॉय करने का शौक है लोग सोचते हैं कि सक्सेस सिर्फ नाम कमाने या आप कहीं घूम लिए तभी आता है। लेकिन मुझे सक्सेस बेटों के साथ फिल्म देखकर, घूम कर उनके साथ खुश होकर भी मिलता है।
एंकर ने सवाल करते हुए कहा कि डांस से आपके एकेडमी पर क्या प्रभाव पड़ा? और क्या आपके दोस्त इसमें मदद किए? इसके जवाब में अलकनंदा दासगुप्ता ने कहा कि टाइम मैनेजमेंट आना चाहिए और हर चीज मैनेज करने की मैं कोशिश करती हूं। मैं अपनी पढ़ाई पूरी की हूं और साथ में कई सारे शो भी की हूं। कुछ भी मुश्किल नहीं है अगर आप अपना टाइम टेबल सही बनाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बहुत लोग सोचते हैं कि उन्होंने डिग्री कर लिया तो वो पढ़े-लिखे है लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने कई सारे पढ़े लिखे गवार भी देखें हैं। आप मेंटली और इमोशनली कितने एजुकेटेड हैं और आप कितने सेंसिटिव हैं। ये ज्यादा इंपॉर्टेंट है और यह हमारे घर से आता है। सोसाइटी से हमें अच्छी चीजें सीखनी चाहिए और हमें अपने जिंदगी में शामिल करना चाहिए। गुरु मुन्ना जी शुक्ला कहते थे कि “नुख्ते के हेरफेर में खुदा, जुदा हो जाता हैं” यह एक छोटी सी लाइन है जो कि मेरे ज़हन में बैठ गया हैं। एजुकेशन सिर्फ स्कूल और कॉलेज नहीं है बल्कि एजुकेशन पूरा सोसाइटी और दुनिया है। आप एजुकेशन हर दिन उठा सकते हैं, नंबर मैटर नहीं बल्कि काम मैटर करता है।
एंकर ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से जो निचले वर्ग के परिवार हैं और उनके बच्चे डांस में अपना करियर बनाना और सीखना चाहते हैं तो आपको लगता है कि कथक को कोई जीरो से स्टार्ट करें कोई बच्चा तो क्या कोई उसे ऐसी शिक्षा दी जा सकती है जो कि कम पैसे में हो? और क्या टीचिंग के अलावा भी कोई ऑप्शन है? इसके जवाब में अलकनंदा दासगुप्ता ने कहा कि हर कोई अपनी जगह पर मेहनत करता है लोगों को उसकी सफलता दिखती है पर उसकी मेहनत नहीं दिखती है। कोई भी नेशनल स्कॉलरशिप लेकर कथक केंद्र में पढ़ सकता है। लेकिन प्रॉब्लम यह है कि कोई मेहनत नहीं करना चाहता। जब मैंने कथक केंद्र में 6 साल की उम्र में एडमिशन लिया था तो मेरे साथ 30 बच्चों ने लिया था लेकिन 14 साल बाद सिर्फ मैं निकली। आपमें मेहनत और दृढ़ संकल्प होनी चाहिए कि आप कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं कथक केंद्र से निकलकर मैंने जीरो से अपना इंस्टिट्यूट शुरू की। मुझे अपनी संस्कृति को अगले जनरेशन तक सही तरीके से पहुंचाना है। टीचिंग एक अच्छा तरीका है। आप डॉक्टरी और इंजीनियरिंग में पैसा लगा सकते लेकिन कला में क्यों नहीं पैसा लगा सकते। सब चीज में इन्वेस्टमेंट की जरूरत होती है। आप 17 साल एकेडमिक ग्रेजुएशन में लगा देते हैं लेकिन 7 साल कथक ग्रेजुएशन में नहीं लगा सकते और उसमें लगाने में डर लगता है। लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए अगर निष्ठा है तो हर चीज हो सकता है।
एंकर ने कहा कि आप कैंसर के समय शो भी करती थी, आपको कैंसर के बारे में कब पता चला और आप इससे किस तरह से लड़ पाए इसके जवाब में अलकनंदा दासगुप्ता ने कहा कि हम औरतें अपने आप को परिवार, समाज और जिंदगी में पीछे रखते है। सबसे जरूरी है कि आप अपने आप को ऊपर रखे। मुझे अप्रैल 2022 में लगा कि कुछ गड़बड़ हो रहा है और मैं एकदम से डॉक्टर के पास भागी। सिटी स्कैन कराने के बाद पता चला कि लेफ्ट ओवरी में लंप है। मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया। 7 मई को पहले मैंने अपना प्रोडक्शन कंप्लीट किया उसके बाद मैंने बहुत सारी पार्टी की। उसके बाद मैंने अपना ऑपरेशन करवाया। सब रोए जा रहे थे फिर मैं गौरी दिवाकर से पूछी तो मुझे बताया कि मुझे फर्स्ट स्टेज कैंसर है। मैं रोई नहीं, मुझे लगा कि कैंसर ही तो है वायरल है निकल जाएगा। हम इसे कैसे लेते हैं और ये मैटर करता है।
उन्होंने आगे बताया कि डॉक्टर ने मुझे भर्ती होने के लिए कहा लेकिन मैं कहीं अभी भर्ती नहीं हो सकती। डॉक्टर ने कहा कि पागल हो गई हो मैं कहीं पागल नहीं हुई हूं। मेरे दो शो है एक 7 अगस्त को दूसरा 14 अगस्त को है। मुझे इस शो को करके भर्ती होना है। डॉक्टर ने कहा कि आपको पता है यह कैंसर है। यह फैल सकता है। लेकिन मैं कहीं 15 दिन में क्या होगा मैं मर थोड़ी जाऊंगी। बड़ी मुश्किल से डॉक्टर मानी। फिर मैं 14 तारीख को शो खत्म करके आई। 16 तारीख को मैं भर्ती हुई और 17 तारीख को मेरा ऑपरेशन हुआ। उन्होंने आगे कहा कि जिंदगी जीने का नाम है हम पहले ही मौत की क्यों सोचें। कैंसर के लिए भगवान ने मुझे इसलिए चुना क्योंकि मुझमें हिम्मत है। आज मुझे विश्वास है कि भगवान ने मुझे इसलिए चुना ताकि मैं इसकी एक स्पीकर बन सकूं। कैंसर इतना डरावना नहीं है। प्रॉपर इलाज होना चाहिए और आपको अपनी बॉडी के चेंजेंस को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
एंकर ने कहा कि आप नृत्य के समय सबसे ज्यादा ध्यान किस पर देती हैं? इसके जवाब में अलकनंदा दासगुप्ता ने कहा कि अगर किसी एक चीज पर ध्यान दें तो वो नृत्य पूरा नहीं होगा। जब आप नाचना शुरू करते हैं शुरू में तो सबसे पहले आपको ताल को समझना बहुत जरूरी होता है फिर फुट वर्क और मूवमेंट्स को तैयार करना। अभिनय एक एक्सपीरियंस है और आपमें क्या हुनर है। अभिनय में हर आर्टिस्ट का अपना एक तरीका और रुझान होता है। आप बच्चों को ताल और लय सिखा सकते हैं, आप भाव बता सकते हैं लेकिन अभिनय करना एक अलग रंग और माध्यम है। इसके लिए उन्हें एक्सपीरियंस होना बहुत जरूरी है और ये धीरे-धीरे आता है।
अलकनंदा दासगुप्ता ने आखिर में महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि आप अपने आपको मान लें और अपने आप को पहले रखें क्योंकि अगर आप खुश हैं तो आप सबको खुश रख सकते हैं। अपने आप के बारे में अलर्ट रहिए। अगर आपका किसी भी चीज में पैशन है तो आप उसे जरूर पकड़ कर रखें। अगर पैशन आपका प्रोफेशन बन जाए तो काम, काम नहीं लगता। काम एक मजा बन जाता है। साथ ही उन्होंने जिन लोगों को कैंसर हुआ उन्हें संदेश देते हुए कहा कि उन्हें डरने की कोई बात नहीं है और आप अपना पूरा इलाज करवाइए और उसके बीच में अपना कोई पैशन ढूंढिए। इसके अलावा उन्होंने अपने जिंदगी के तीन ‘पी’ के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मेरा पहला ‘पी’ पैशन, दूसरा ‘पी’ आप अपने साथ खुश हों चाहे दुनिया कुछ भी कहें और तीसरा ‘पी’ पैसा है।