नोएडा -प्रदेश सरकार बहुत ही जल्द नई औद्योगिक नीति लागू करने जा रही है। इसमें उद्यमियों को लालफीताशाही से मुक्ति मिल जाएगी। औद्योगिक विकास को गति प्रदान होगी। यह बात बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश औद्योगिक मंत्री सतीश महाना ने उद्यमियों ने कही। वह सेक्टर-6 स्थित नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर औद्योगिक समस्या से उद्यमियों के साथ बैठक कर रहे थे। उद्यमियों का एक प्रतिनिधि मंडल नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिशन अध्यक्ष विपिन मल्हन के नेतृत्व में बैठक में शामिल होने पहुंचा था। इस मौके पर उद्यमियों की ओर से विपिन मल्हन ने मंत्री को पुष्पगुच्छ देकर उनका जोरदार स्वागत किया और औद्योगिक विकास में उनके निरंतर प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर एनईए महासचिव वीके सेठ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मवीर शर्मा, उपाध्यक्ष सुधीर श्रीवास्तव, मोहन सिंह, मोहम्मद इरशाद, सचिव कमल कुमार, हरीश जोनेजा, कोषाध्यक्ष शरद चन्द्र जैन, सह कोषाध्यक्ष नीरू शर्मा, अमित तारा, अनिल अग्रवाल, किशोर कुमार, एचके गौतम, रमन वासन, अजय अग्रवाल, राहुल नय्यर, राजीव गोयल, इन्दरपाल खाडपुर, सुभाष चोपड़ा, एचके गौतम, आरके सूरी, राजन खुराना, संदीप अग्रवाल, एचके अरोड़ा, अतुल कात वर्मा उपस्थित रहे।
उद्यमियों ने ये रखी मांग :
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में मिले छूट
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट मिले उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग ने वर्ष 2010 में अधिसूचना जारी की थी कि नई इकाइयों को दस वर्ष की अवधि के लिए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से छूट दी जाएगी लेकिन इसके बावजूद आज तक विद्युत निगम ने इसका पालन नही किया। उद्यमियों को इस लाभ से वंचित रखा कई वर्षो से आइटी /आइटीईएस उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में आइटी भूखंड को औद्योगिक भूखंड में परिवर्तित कर उद्यमी निर्माण इकाई लगाना चाहता है। ऐसे में आवंटित भूखंडों पर प्राधिकरण द्वारा अनुमन्य उद्योग लगाने की अनुमति प्रदान करें। यदि एक बार प्रोजेक्ट परिवर्तन करने की अनुमति के पश्चात भी यदि भवन का निर्माण कर इकाई कार्यशील नहीं की जाती है तो उसका आवंटन निरस्त कर दिया जाए।
लीज रेंट एक फीसद हो :
नोएडा में उद्योगों से लीज रेंट प्राधिकरण 2.50 फीसद की दर से वसूल रहा है। जो कि वर्तमान दर पर बहुत ज्यादा है। औद्योगिक भूखंडों की लीज रेंट की दर एक फीसद की जाए।
छोटी इकाइयां को सर्विस इंडस्ट्री घोषित की जाए :
नोएडा में उद्योगों में काम आने वाले रॉ-मैटेरियल की कोई मार्केट नही है। इस कारण उद्यमियों को अपने उत्पाद में काम आने वाले कच्चे माल के लिए अन्य पड़ोसी राज्यों पर पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में छोटे औद्यौगिक भूखंड पर इकाई चलाना संभव नही है। ऐसे में उद्योगों के विकास के लिए सेक्टर-9, 10 ( 50 वर्ग मीटर से 114 वर्ग मीटर तक) की इकाइयों को सर्विस इंडस्ट्रीज घोषित किया जाए।
छोटे उद्योगों का विस्तार कराया जाए :
कई वर्षो से छोटे औद्योगिक भूखंडों की योजना नहीं निकाली गई है। इस कारण कई उद्यमी अपनी इकाई का विस्तार नहीं कर पाए हैं। छोटे उद्योग लगाने के इच्छुक उद्यमी अपना उद्यम लगाने से वंचित रह गये। मास्टर प्लान के हिसाब से नोएडा छोटे उद्योगों का हब है। ऐसे में औद्योगिक भूखंडों 2000 वर्ग मीटर से कम (500, 800, 1000, 1200 वर्ग मीटर तक) की योजना लाने के लिए प्राधिकरण को निर्देश दिए जाएं ताकि छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिले और रोजगार के नये अवसर बढ़ें।