RSS सर संघसंचालक डॉक्टर मोहन भागवत का प्रबुद्ध नागरिक समारोह था या मन की बात का कार्यक्रम

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (27 नवंबर, 2023): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्व आधारित भारत पर उद्बोधन के लिए प्रबुद्ध नागरिक समारोह रखा गया जिसमें आरएसएस प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत का उद्बोधन रहा ।

कार्यक्रम के अंतर्गत स्व आधारित भारत नामक विषय को मोहन भागवत द्वारा बहुत ही व्यापक तरीके से रखा। उन्होंने स्व शब्द पर अधिकतर ध्यान केंद्रित किया जिसे उन्होंने अपने मूल में पहचान के लिए कहा।

हालांकि स्व आधारित भारत बनाने में आज डबल इंजन की सरकार का काफी काम देखने को मिलता है। आरएसएस और भाजपा दोनों की जोड़ को लेकर काफी चर्चाएं देश में होती रहती है। परंतु मोहन भागवत ने खुलकर कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं लिया उन्हीं के प्रदेश में आ कर नहीं लिया । हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है। कश्मीरी पंडितों का जिक्र भी मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन में किया और कहा कि कश्मीर के पंडितों ने अपनी खुशहाली के लिए क्या कुछ नहीं किया।

भारत में योग का वर्चस्व प्राचीन काल से रहा है और विदेशों उसे जादू टोना मानते थे लेकिन आज भारत के योग को विश्व अपना रहा है इसकी बात भी मोहन भागवत ने की।

जिस विषय को लेकर मोहन भागवत और आरएसएस काफी सुर्खियों में रहता है उस हिंदू राष्ट्र की बात भी मोहन भागवत द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाना क्या है हिंदू राष्ट्र तो पहले से है बस उसे पहचानना है।

उन्होंने अपने तर्कों के अनुसार धर्म को परिभाषित करने का प्रयास भी किया। साथ ही उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर के भाषण का भी जिक्र किया।

कार्यक्रम की उच्चतम सफलता तभी निश्चित हो सकती है जब समाज के हर पहलुओं का एवं समाज के हरवर्ग का समावेश कार्यक्रम के अंतर्गत देखने को मिलता हो। हालांकि इस लेख को पढ़ रहे उन तमाम व्यक्तियों से यह प्रश्न है कि क्या समाज का हर वर्ग कार्यक्रम में उपस्थित था। जिस सभागार में यह चर्चा हो रही हो कि सभी को साथ लेकर चलना है इस सभागार में नगर और राज्य स्तर से आए सभी प्रभुत्व जन ही मौजूद थे। महिलाओं की 33% रिजर्वेशन की बात होती है , लेकिन इस कार्यक्रम में 2 प्रतिशत से भी कम महिलायें नज़र नहीं आयी ।

प्रबुद्ध नागरिक समारोह में जनता से चुने प्रतिनिधि सांसद , विधायक आगे बैठे थे उनका ज़िक्र ना ही आयोजको ने ना ही मोहन भागवत ने किया । प्रबुद्ध नागरिकौ की मन की बात भी नहीं सुनी , उनसे कोई प्रश्न पूछने का मौक़ा भी नहीं दिया । इससे यह प्रतीत होता है कि सरसंघचालक ने बस अपने ‘मन की बात’ कही और चल दिये ।

टेन न्यूज़ के पाठक ख़ुद मंथन करे तय करे की यह कार्यक्रम कितना सफल रहा ।