करवाचौथ विशेष :-
मैं हूँ तैनात सीमा पर मेरा सम्भल बनी हो तुम |
थका हारा मुसाफ़िर हूँ मेरी छाया घनी हो तुम |
तुम्हारे व्रत का तप है जो सुरक्षा में वतन की हूँ ,
मेरे जीवन के खातिर मौत के आगे तनी हो तुम |
-:: अंकित विशेष
हो गयी है जेब खाली यार करवाचौथ पर ।
सैलरी में आ गया सिंगार करवाचौथ पर ।
बावजूद इसके मेरी बीबी ने मुझसे यूँ कहा ।
दे रहे हो क्या मुझे इस बार करवाचौथ पर ।
सभी पतियों को करवाचौथ की शुभकामनाओं के साथ
दिव्यहंस दीपक
एक और
दे नहीं पाये अगर इस बार करवाचौथ पर ।
अपनी बीबी को कोई उपहार करवाचौथ पर ।
चाँद का दीदार होते ही हमारी चाँद पर ।
इस दफा जमकर पड़ेगी मार करवाचौथ पर ।
दिव्यहंस दीपक
*सुन्दरता की प्रतिस्पर्धा अपने पूरे शबाब पे है,*
*आज एक चाँद दूसरे चाँद के इंतज़ार में है…!!*
नमसकारम
हुआ ना शृंगार पूरा मांग अधूरी रह गई
खैरमकदम में जुबां तलवार करवाचौथ पर
SATENDRA PRAKASH
चाँद निकल आया और आज नई पहल का करवा चौथ पर जो यह स्पेशल कवि सम्मलेन सम्पन्न हुआ, इसमें जिन कवियों ने आज का बहुमूल्य समय निकाला, उन सभी का शुक्रिया