नोएडा : किसी भी घटना से पीड़ित बड़ी उम्मीद लेकर थाने जाते हैं कि पुलिस उनका केस दर्ज कर जांच कर उनकी मदद करेगी। लेकिन मोबाइल चोरी और लूट के पीड़ितों के लिए एफआईआर दर्ज करवानी भी चुनौतीपूर्ण है। एफआईआर दर्ज हो गई तो पुलिस बिना जांच किए ही मामले में एफआर लगाकर जांच बंद कर देती है। एक ऐसा ही मामला कोतवाली सेक्टर-24 में आया है।
मूल रूप से सुल्तानपुर के रहने वाले ब्रिजेश पांडेय सेक्टर-61 के पंचाचुली अपार्टमेंट में रहते हैं। उन्होंने बताया कि बीती पांच जून को सेक्टर-53 स्थित गिझौड़ में खरीदारी करने गए थे। वहां पर किसी ने उनकी जेब से मोबाइल चोरी कर लिया। उन्होंने घटना की एफआईआर कोतवाली सेक्टर-24 में की। पहले तो पुलिस ने गुमशुदगी लिखवानी चाही। हलांकि सिफारिश लगाने के बाद उनकी एफआईआर दर्ज हुई।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान जांच गिझौड़ा चौकी प्रभारी ने उनसे एक भी दिन बात नहीं किया। गुरुवार को उन्हें पता चाला कि पुलिस ने उनके एफआईआर में एफआर लगाकर जांच बंद कर चुकी है। आरोप है कि पुलिस ने घटना की जांच ही नहीं की बिना ही जांच बंद कर दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस मामले को कितनी गंभीरता से लेकर जांच करती है। यह मोबाइल चोरी होने के एक हफ्ते पहले भी वहीं से उनका एक और मोबाइल चोरी हो गया था। उनका कहना है कि यहां पर युवकों का गैंग सक्रिय है। वह इस गैंग को पकड़वाने में पुलिस को अपना सहयोग देना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने घटना के बाद से अब तक बात ही नहीं की।
मोबाइल चोरी और लूट की मामलों को दर्ज कर पुलिस को जांच करने की हिदायत दी गई है। यदि मामले की बिना जांच किए एफआर लगा दी गई है तो दोबारा जांच करने का आदेश दिया जाएगा। – लव कुमार, एसएसपी ने कहा ।