नॉएडा – सेक्टर-123 में प्रस्तावित वेस्ट टु एनर्जी प्लांट का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेक्टर और आसपास के ग्रामीण एरिया के लोगों ने मिलकर रविवार को जोरदार प्रदर्शन किया। सीएनजी गोलचक्कर पर मानव शृंखला बनाकर लोगों ने नारेबाजी की। मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा से लोगों ने तीखे सवाल किए लेकिन उसका स्पष्ट जवाब नहीं मिला गौरतलब है कि सेक्टर-123 में प्रस्तावित प्लांट के विरोध में रविवार को करीब 1200 लोग प्रदर्शन करने पहुंच थे। यही नहीं एक सप्ताह से लोग यहां अनिश्चितकालीन धरने पर डटे हुए हैं। रविवार को हुए प्रदर्शन में केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा भी लोगों से मिलने मौके पर पहुंचे। इस दौरान प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने उनसे तीखे सवाल किए। होम्स-121 के रहने वाले तरण ढींगरा ने पूछा कि आप केंद्र के पर्यावरण राज्य मंत्री हैं हमें आपसे इस बारे में स्पष्ट जवाब चाहिए कि आप यहां वेस्ट टु एनर्जी प्लांट के लिए एनओसी देंगे या नहीं देंगे। इस सवाल के उठते ही तमाम रेजिडेंट्स ने तालियां बजाईं। लोगों के बार-बार पूछने के बाद भी मंत्री जी ने इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जो गलत होगा उसे रोका जाएगा और जो सही होगा उसे करने दिया जाएगा। पिछली बार की तरह इस बार भी प्रदर्शन में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी शामिल थे। रेजिडेंट्स के अलावा कुछ राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया। डंपिंग ग्राउंड को लेकर मचे घमासान के बीच अथॉरिटी का दावा है कि सेक्टर-123 में बनने वाला वेस्ट एनर्जी प्लांट विश्व स्तर का है लेकिन इससे लोग संतुष्ट नहीं हैं। लोगों का तर्क है कि देश में 8 जगह पर बने वेस्ट एनर्जी प्लांट में से 4 बंद हो चुके हैं। इसके अलावा रिसर्च में सामने आया है कि इन प्लांट्स के आसपास के एरिया में रहने वाले लोग विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
बता दें कि देश में पिछले 15 साल में 8 स्थानों पर लगे वेस्ट टु एनर्जी प्लांट में से 4 बंद हो गए। दिल्ली स्थित सुखदेव विहार, जबलपुर, पुणे के प्लांट के विरोध में लोग वर्षों से कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। यही नहीं, रिसर्च में यह भी सामने आ रहा है कि जिन देशों से इंडिया में इसका कॉन्सेप्ट आया है वहां वेस्ट टु एनर्जी प्लांट पर अब बैन लगा दिया गया है। वे देश पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण को कंट्रोल के लिए बायो गैस प्लांट व अन्य प्राकृतिक तरीकों को बढ़ावा दे रहे हैं।