पिछले दिनों में फिर नॉएडा के एक अपार्टमेंट के रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी में वार्षिक चुनाव में घपलेबाज़ी की खबर सामने आई है। सेक्टर ५० (Sector-50) में स्तिथ सागर प्रेसीडेंसी अपार्टमेंट bn hn में चुनाव की घोषणा के पश्चात दस मेम्बरों ने नामांकन पत्र प्राप्त किये। नामांकन पत्र में साफ़-साफ़ अनुदेश था की अगर चुनाव में भाग लेने वाला व्यक्ति सदस्य न हो या संयुक्त सदस्यता में उसका नाम पहले स्थान पर नहीं है तो उसको पहले सदस्य या एकल मालिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर जमा करना होगा। उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट, २०१०, में स्पष्ट लिखा है की संयुक्त सदस्यता की स्तिथि में सिर्फ पहला सदस्य को ही वोट करने का अधिकार है। परन्तु २०१३ में इलाहबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था की सदस्यता की परिभाषा में सदस्य का पति या पत्नी और बालिग़ बच्चे भी शामिल होते हैं। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद, नामांकन प्रपत्र लेने के अंतिम तारीक़ पर एक संशोधन नोटिस लगाकर हाई कोर्ट की रूलिंग को नज़रअंदाज़ करते हुए चुनाव अधिकारी ने एलान कर दिया की जिन उम्मीदवार सदस्य नहीं हैं या संयुक्त सदस्यता में उनका नाम पहले नहीं दर्ज हैं वह चुनाव में दावेदार नहीं हो सकते हैं। जब इस बात पर प्रभावित दावेदार चुनाव अधिकारी को उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट, २०१० को उच्च न्यायालय की रूलिंग को समक्ष रखते हुए निर्णय लेने की अपील की तो चुनाव अधिकारी ने साफ़ मना कर दिया। एक दिन के पश्चात बिना कारण उन्होंने चुनाव प्रणाली को भंग करते हुए पुनः चुनाव कराने की घोषणा की।
ज्ञात हो की दस सदस्यों ने नामांकन पत्र अंतिम तिथि और समय से पहले ऑफिस से ले लिए थे। चुनाव घोषणा पत्र तथा नामांकन पत्र,दोनों, अपार्टमेंट एक्ट और उच्च न्यायालय की रूलिंग के अनुकूल थे। उसके बावजूद चुनाव अधिकारी ने चुनाव रद्द कर दिया। मज़े की बात यह है की यही चुनाव अधिकारी दो वर्ष, २०११-२०१२ और २०१२-२०१३, जब उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट, २०१०, लागू था, खुद अध्यक्ष पद पर थे जब की वह सोसाइटी के सदस्य भी नहीं थे।
यह भी आश्चर्य की बात है की RWA का वर्ष २०११ से डिप्टी रजिस्ट्रार, मेरठ, में रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण अभी तक नहीं हुआ है। यह इसलिए की RWA के २००६ के पंजीकरण के पश्चात आज तक, डिप्टी रजिस्ट्रार, मेरठ के अनुरोध के बावजूद, किसी भी वित्तय वर्ष की बैलेंस शीट्स तथा अन्य महत्त्वपूर्ण अभिलेख उनके ऑफिस में जमा नहीं किये गए हैं । उन्ही वर्षों में यह चुनाव अधिकारी RWA के अध्यक्ष रह चुके हैं। और तो और, RWA ने कई वर्षों से, इस मद में पूँजी होने के बावजूद, पानी के बिल जमा नहीं किये जो, ब्याज और पेनल्टी सहित, क़रीब १७ लाख के ऊपर पहुंच चूका है।
जिन लोगों का पिछले दशक से RWA पर कण्ट्रोल था वह और उनके साथी इस चुनाव में नामांकन पत्र को निर्धारित समय में नहीं ले पाए, सिर्फ इसी वजय से चुनाव प्रणाली को भंग किया गया है। दूसरों के हाथ में मैनेजमेंट को जाने से पिछले वर्षों में की गई सारी अनियमिताओं का पर्दाफाश न हो जाये, इस लिए यह सारी गतिविधियां इस RWA में हो रहीं हैं ताकि नए सदस्य चुनाव में भाग न ले पाएं और RWA के कार्यकारिणी सदस्य बनें।
२०१३ में डिप्टी रजिस्ट्रार, मेरठ ने RWA को निर्देश दिए की वह पिछले वर्षों के कागजात जमा करे तथा सोसाइटी को उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट, २०१० तथा उसके मॉडल बाई-लॉज़ के ढाँचे के अंतर्गत प्रशासन चलाये परन्तु ऐसा नहीं हुआ है। यह अव्यवस्था और अनियमिताएं जब तक चलेंगी जब तक डिप्टी रजिस्ट्रार, मेरठ और नॉएडा प्राधिकरण (कम्पेटेन्ट अथॉरिटी) मात्र आदेश और निर्देश जारी करने के आलावा ऐसे RWA पर कड़ी कार्यवाही से पेश आएंगी।