नोएडा शहर में यातायात समस्या को खत्म करने के लिए नोएडा प्राधिकरण लगातार कार्य कर रहा है | जिससे लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े | आपको बता दे की नोएडा शहर में प्रमुख समस्या ट्रैफिक चल रही थी | जिसको लेकर नोएडा प्राधिकरण ने एक नई पहल शुरू की है , जी हाँ यातायात समस्या को व्यवस्थित करने के लिए यहां गूगल आधारित तकनीक पर काम किया जा रहा है। नोएडा प्राधिकरण ने इसे एडाप्टिव ट्रैफिक सिग्नल नाम दिया गया है। यह चिप आधारित तकनीक है।
इस तकनीक के जरिए जिस भी सड़क पर यातायात ज्यादा होगा। वहां सिग्नल स्वत: ही हरे रंग का हो जाएगा। इसका प्रयोग नोएडा में शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में उद्योग मार्ग, एमपी-1 पर इसे लगाया गया है। छह माह के ट्रायल के बाद सात जगहों पर इस तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। जगह चिह्नित कर ली गई है।
वही इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक राजीव त्यागी का कहना है की अब तक किए गए प्रयासों में सकारात्मक परिणाम मिल रहे है। निरीक्षण में प्रमाण मिल रहे है कि पीक आवर के समय यहां यातायात जाम नहीं होता है। साथ ही इन चौराहों पर प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ है। यह अध्ययन लगातार किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था के लिए नोएडा प्राधिकरण ने दो कंपनियों के साथ करार किया था। जिस पर काम किया जा रहा है। साथ ही उनका कहना है की यह कार्य सीएसआर के तहत किया जा रहा है। इसके लिए प्राधिकरण ने दो कंपनियों के साथ एमओयू साइन किए थे।
पहले चरण में बीएसएनएल, इंडियन ऑयल (गोलचक्कर), टी-सीरीज यानी सेक्टर-19 रेड लाइट पर चिप आधारित इस ट्रैफिक लाइटों को प्रयोगात्मक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस लाइटों में सेंसर आधारित एक चिप का प्रयोग किया गया है। जिसके जरिए यह यातायात के समय को समायोजित करती है। इन लाइटों के जरिए यातायात को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि सबसे पहले बीसएनएल चौराहे पर एडाप्टिव सिस्टम को सात मार्च को लगाया गया। फिलहाल प्रयोगात्मक रूप से सफल होने के बाद इनको पूरे शहर में लगा दिया जाएगा , खासबात यह है की गूगल तकनीक पर करती है काम |
कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि यह पूरा सिस्टम गूगल तकनीक पर आधारित है। जैसे आप गूगल खोलकर यातायात को देखते हो जिस सड़क पर जाम होता है वह रोड लाल रंग में और जहां जाम नहीं होता वह हरे रंग में दिखती है। ठीक इसी तरह एडाप्टिव सिस्टम में सेंसर चिप के जरिए सड़क पर चलने वाला यातायात स्टोर होता रहता है। जाम की स्थिति में यह बिना किसी मानव संसाधन के स्वत: ही ग्रीन हो जाएगी। साथ ही समय के अनुसार ही इस सड़क पर अगली रेड लाइट भी ग्रीन हो जाएगी। ऐसे में यातायात जाम नहीं होगा। ठीक इसी तरह जहां यातायात सामान्य होगा वह नार्मल तरह से यह काम करेंगी।