गाँवों के लिए भी बनेगा शौचालय, नोवरा के प्रयासों का हुआ असर

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (01/03/2022): नोएडा प्राधिकरण ने आरटीआई में दिया जवाब , पहले गाँवों के लिए नहीं बनते थे शौचालय।

नोवरा अध्यक्ष श्री रंजन तोमर द्वारा लगाई गई एक आरटीआई से कई तथ्य सामने आये हैं। अब गाँवो में भी प्राधिकरण शौचालयों का निर्माण करवा रहा है। इस बदलाव का श्रेय जितना प्राधिकरण और विधायकों को जाता है उतना ही नॉएडा विलेज रेसिडेंट्स एसोसिएशन को भी जाता है। क्यूंकि 2017 में ही प्राधिकरण ने लिखित में नोवरा अध्यक्ष को जवाब दिया था की नोएडा प्राधिकरण गाँवों में शौचालय का निर्माण नहीं कर पायेगा क्यूंकि वहां विज्ञापन का स्कोप नहीं है।

गौरतलब है की प्राधिकरण द्वारा निर्मित शौचालय बॉट के तहत बनते हैं जिनमें विज्ञापन के माध्यम से पैसा उत्पन्न किआ जाता है। इसके बाद मीडिया के माध्यम से नोवरा ने ज़ोर शोर से यह बात उठाई थी। और मौजूदा विधायकों से ग्रामीणों से हो रहे भेदभाव की बात सामने रखी थी। इसमें यह बात भी कही गई थी के गाँवों में सबसे ज़्यादा खुले में शौच की समस्या है तो शहर में ही शौचालय बनाने का औचित्य क्या है , इसके बाद गाँवों में भी शौचालयों का निर्माण होने लगा।

नोवरा के प्रेसिडेंट रंजन तोमर ने हाल ही में एक आरटीआई लगाई थी जिसमें यह पूछा था के नोएडा के गाँवों के 500 मीटर की परिधि में कितने शौचालयों का निर्माण प्राधिकरण ने किया है। इसके जवाब में प्राधिकरण के जन स्वास्थ्य खंड 2 से जवाब श्री तोमर को प्राप्त हुआ। जिसके अनुसार कुल 5 यूरिनल ब्लॉक गाँवों के नज़दीक बनाये गए हैं जबकि 24 सार्वजानिक शौचालय गाँवों से 500 मीटर की परिधि में बनाये गए हैं। अभी पूरे शहर की जानकारी आनी बाकी है।

जिन गाँवों के पास यूरिनल बनाये गए हैं उनमें सर्फाबाद , पर्थला , नयागांव , सलारपुर एवं बख्तावरपुर हैं , जबकि जहाँ शौचालय बनाये गए हैं उनमें सोरखा , सर्फाबाद , नंगला चरणदास , याकूबपुर , नयागाँव , शेहेदरा , सलारपुर ,भंगेल , हाजीपुर , नगली बाजिदपुर , छपरौली , रायपुर , असगरपुर , कुंडली एवं रोहिल्लापुर प्रमुख हैं , कुछ गाँवों के पास दो से अधिक शौचालय भी बने हैं, जिनका ब्यौरा जवाब में शामिल है।

एक साल बाद दिया जवाब
एक बड़ी बात जो सामने आई है की यह आरटीआई श्री तोमर ने मार्च 2021 में लगाई थी जिसका जवाब फरवरी 2022 को दिया गया है जो कहीं न कहीं कानून का उल्लंघन भी है जो कहता है की एक माह के भीतर ही जवाब दिया जाना चाहिए , ऐसे में प्राधिकरण को देखना होगा के वह समय का ध्यान रखें और कानून का सम्मान करें।