नॉएडा अथॉरिटी द्वारा बनाये जा रहे हाई राइज इमारतों के स्ट्रक्चरल ऑडिट और कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ऑडिट के पालिसी के विषय में मेरा इनपुट और निवेदन

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (16/04/2022): नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा के हाई राइज इमारतों में कंस्ट्रक्शन क्वालिटी को लेकर अनेक गंभीर समस्याएं हैं. फ्लैट ओनर्स कई सालों से नॉएडा अथॉरिटी से इस विषय पर शिकायत करते रहे हैं. किन्तु इस पर न बिल्डर कोइन एक्शन लेता है ना ही नॉएडा अथॉरिटी. इसलिए समस्या ज्यों की त्यों है. समय के साथ हाई राइज इमारतों की हालत और ख़राब होती जा रही है.

नॉएडा अथॉरिटी बिल्डिंग रेगुलेशन एंड डायरेक्शन २००६ में पहले से ही ख़राब कंस्ट्रक्शन क्वालिटी पर बिल्डर की जिम्मेदारी तय किया हुआ है. सेक्शन १७, सेक्शन २६.१ और सेक्शन ७८ पहले से ही बिल्डर को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हैं, अगर कंस्ट्रक्शन क्वालिटी बताये गए नियमों के मुताबिक नहीं है तो. तो फिर शिकायत करने पर नॉएडा अथॉरिटी बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता है?

नॉएडा अथॉरिटी को यह भी समझना चाहिए कि कंस्ट्रक्शन क्वालिटी और स्ट्रक्चरल स्थिरता (स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी) एक दूसरे से अलग नहीं हैं. अगर कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ख़राब होगा तब यह तय है कि इसका असर स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी पर पड़ेगा. मैंने इस विषय पर एक विस्तृत पत्र नॉएडा अथॉरिटी के सी ई ओ महोदया  को भेजा है. इसका कॉपी संलग्न है.

अभी सुनने में आया है कि नॉएडा अथॉरिटी स्ट्रक्चरल ऑडिट पर एक नयी पालिसी बना रहा है. संक्षेप में मेरा निवेदन है कि इस पालिसी को बनाते समय मेरे द्वारा दिए गए निम्नलिखित सुझावों पर गौर किया जाये ताकि यह नया पालिसी बिल्डर के पक्ष में ना हो जाये, जैसा कि मुझे पूरी आशंका है.
(i) नॉएडा अथॉरिटी द्वारा OC मिलने के बाद या एसोसिएशन को बिल्डिंग और कॉमन एरिया हैंडओवर हो जाने के बाद (जो भी बाद में हुआ हो) दस साल तक कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ऑडिट और स्ट्रक्चरल ऑडिट की जिम्मेदारी विकासकर्ता कि होनी चाहिए. ऑडिट एक दिए गए समय सीमा के अंदर हो. ऐसी कोई शर्त नहीं होनी चाहिए जैसे कि ऑडिट तभी होगा जब २५% निवासी लिखित में ऑडिट के लिए आवेदन देंगे इत्यादि.
(ii) विकासकर्ता अपने खर्च पर इन दोनों ऑडिट को कराये और ऑडिट के ऑब्जरवेशन (अवलोकन) के मुताबिक सारे रिपेयर का खर्च वहन करे. रिपेयर एक दिए गए समय सीमा के अंदर हो.
(iii) कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ऑडिट और स्ट्रक्चरल ऑडिट किसी मानक संस्था द्वारा कराया जाये, जैसे की केंद्रीय भवन अनुसन्धान संस्थान (CBRI, Roorki), IIT इत्यादि.
(iv) इस ऑडिट में ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी की टीम और नॉएडा अथॉरिटी की भी भागीदारी हो.
(v) स्ट्रक्चरल ऑडिट के साथ कंस्ट्रक्शन क्वालिटी का भी ऑडिट होना जरूरी है. कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ही मुख्य मुद्दा है. अगर बालू और सीमेंट का अनुपात ठीक नहीं है, अगर सही गुणवत्ता का स्टील और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है, अगर कंस्ट्रक्शन के दौरान सही तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ है, अगर बीम्स और कॉलम में सही कंक्रीट और स्टील बार का इस्तेमाल नहीं हुआ है, अगर ठीक से क्युरिंग नहीं किया गया है इत्यादि तो यह निश्चित है कि स्ट्रक्चर कमजोर होगा. इसलिए यह जरूरी है कि कंस्ट्रक्शन क्वालिटी ऑडिट और स्ट्रक्चरल ऑडिट दोनों एक साथ हों.
(vi) सभी हाई राइज इमारतों में पानी के रिसाव कि गंभीर समस्या है. मुख्यतः एक्सपेंशन जॉइंट दोषपूर्ण तरीके से बने हैं. इसकी अलग से जांच होनी चाहिए. पानी के रिसाव के चलते बेसमेंट में बीम्स और कॉलम (जो की सारा लोड उठाते है) में जंग लग

 

कर्नल प्रकाश चंद्र (सेवा निवृत) का निवेदन