लक्ष्मण रेखा के भीतर रह, बाहर ना पाँव बढ़ायेंगे।
हम घर के अंदर रहकर ही, इस राक्षस से बच पायेंगे।।
आसुरी शक्ति ये कोरोना, तो हम भी क्या कम शक्तिमान ।
इस लुकाछिपी के खेला में, जो छिपा रहा वो विजयी जान।।
खुशियों का खजाना घर तेरे, परिवार संग कुछ समय बिता।
प्रीतम है किसी प्रिया का तू, प्यारे बच्चों का स्नेही पिता।।
जो देवदूत मानव तन में, मानव सेवा में लगे हुये।
हम सोते घर अपने में और, वो अनथक हरपल जगे हुये।।
अभिनंदन वंदन सहस नमन, हम उनको शीश नवाते हैं।
शब्दों से नहीं सिर्फ उनका, उर से आभार जताते हैं।।
रणनीतिकार रण के मोदी, जो भी रणनीति बतायेंगे।
अक्षरशः पालन कर उसका, हम उसको सफल बनाएँगे।।
हाथ धोकर पीछे पड़ इसके, वायरस को दूर भगायेंगे।
खतरे में पड़ी मानव जाति, उसे मिलकर सभी जितायेंगे।।
पांचजन्य शंख में फूँक मार, और बजा नगाड़ा रण का अब।
सदियाँ भी माफ करेंगी नहीँ, गर मानव तू ना जागा अब।।
हिमचोटी बैठे त्रिपुरारी तीसरा नेत्र हैं खोल रहे।
हम एक अकेले नहीं यहाँ, सौ कोटि घोष जय बोल रहे।।
टल जायेगा समय कठिन भी ये, बस कुछ दिन हम पर भारी हैं।
विश्वास अडिग ये अटल सत्य, निश्चय ही जीत हमारी है।।
घर में थम गये हों पाँव भले, जीवन की दौड़ लगायेंगे।
धरती का तमस जो चीर सके, आज ऐसा दीप जलाएंगे।।
जय हिन्द।
🙏सादर,
अरूण शर्मा
केपटाउन सैक्टर 74