By Ramita Taneja
उन सभी को शत शत प्रणाम जिन्होंने अपने खून-पसीने की कमाई को देश की भलाई और नागरिकों की सुरक्षा के लिए दान दिया ! सबने आगे बढ़ कर प्रधान मंत्री राहत कोक्ष में अपना अपना योग दान दे कर १ अच्छे नागरिक होने का फ़र्ज़ निभाया !
किसने क्या दिया और कितना दिया यह सूची दे कर मैं उनके इस ऊच्य सोच को छोटा नहीं करना चाहूँगी। श्रधा से दिया हुआ १० रुपया भी जबरन लिए करोड़ों से बड़ा होता है।
इस संकट की घड़ी में जिस किसी ने भी आगे आ कर मदद करी है वो सराहनीय है.! मदद केवल पैसों से ही नहीं करी जा सकती यह उन लोगों ने सिखाया जिन्होंने खाद्य पदार्थ दे कर कई भूख़ से पीड़ित घरों में राशन उपलब्ध करवाया ! मदद वो भी है जो हमारी सेनाओं, डाक्टरों और पुलिस कर्मियों ने करी। यह सब अपनी जान पर खेलकर हमें बचाते रहे।ना घर का होश, ना खाने की फ़िकर. केवल अपने कर्म को फ़र्ज़ का रूप दे कर निःस्वार्थ लगे रहे!
आप सब को मेरी और पूरे देश वासियो की ओर से कोटि कोटि नमन !
पर अब आगे क्या ?
इस संकट की घड़ी को तो हम महीने २ महीने ४ महीने में निकल लेंगे परंतु इसका जो असर जो हमारे देश की आर्थिक स्तिथि पर होगा वो कैसे झेलेंगे ?
भारत १ उभरता हुआ देश है ,आज भी इसकी ज़्यादा आबादी ग़रीबी की रेखा से नीचे है ! अर्धशास्त्रियों का कहना है की यह २१ दिन का लाक्डाउन शायद हमें प्रगति की राह से पीछे धकेल देगा । क्या भारत यह धक्का झेल पाएगा ?
बहुत ज्ञानी तो नहीं हूँ परंतु इतना जानती हूँ की यदी हम सब भारतवासी अपनी अपनी क्षमता से १० पर्सेंट ज़्यादा काम करें और यह १० पर्सेंट देश को अर्पित करें जिससे हमारे देश की ग़रीबी कम हो सके. हर कोई भर पेट खाना खा सके. हर बच्चा स्कूल जा सके. हर घर में रोशनी हो. हर नल मैं पानी हो! तो भारत शिख़र की नई बुलंदियाँ छू सकता है !बस ज़रूरत है कुछ समय थोड़ा ज़्यादा काम करने की.., पर अपने लिए नहीं….अपने देश के लिए…उसकी तरक़्क़ी के लिए.ताकि जीवन मैं फिर कभी ऐसा संकट आए तो हम तैयार होा
अभी तो कोरोना अपनी पारी खेल रहा है । बाद में हमारी पारी |
सभी सुरक्षित रहें, परिवार, समाज और राष्ट्र को सुरक्षित रखें।
लॉक डाउन के बाद जी तोड़ मेहनत करना है, स्वयं,परिवार और राष्ट्र के लिए…देश की गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए
अब समय आ गया है अपने देश को शिखर पर पहुँचने का और देश के प्रति ईमानदारी दिखाने का
और बस मिल जाएगा मुझे मेरे सवाल का जवाब …..
क्या दान पुण्य – कोविड की मोहताज है ?