बॉलीवुड के स्वर्णिम दशक से दस यादें (पार्ट – २)

दोस्तों, पिछले एपिसोड में हमने बॉलीवुड के नब्बे के दशक से बेहतरीन दस फ़िल्मों की यादें ताजा की थी। जिस तरह वो फ़िल्में आज टीवी पर आ जाए तो हम अपने आप को नहीं रोक पाते, उसी तरह नब्बे का स्वर्णिम दशक संगीत प्रेमियों के लिए भी यादगार रहेगा।

90 के पिछले दशक ने भारतीय संगीत परिदृश्य में कई बदलाव देखे थे, नए रिकॉर्ड लेबल लॉन्च किए गए, कैसेट खपत का सबसे बड़ा रूप बन गए और कुछ उतार-चढ़ाव के बाद हिंदी फिल्म संगीत कुछ उम्मीद दिखा रहा था, मैंने प्यार किया एवं कयामत से कयामत तक का सुरीला संगीत जहां एक पूर्ण परिवर्तन की ओर इंगित कर रहा था।

आर डी बर्मन के दौर से हम नदीम श्रवण और आनंद मिलिंद, के सुरीले संगीत की ओर बढ़ रहे थे। नब्बे का दशक भारतीय सिनेमा संगीत, ग़ज़ल, पॉप, क्लासिकल, आदि सभी तरह के संगीत के लिए हमेशा याद रहेगा।

अगले कुछ एपिसोड मे हम नब्बे के दशक के संगीत के बारे में ही बात करेंगे, इस दशक के दौरान बहुत सी चीजें एक साथ हुईं। संगीत निर्देशक ए.आर. रहमान ने हिंदी फिल्म संगीत को रोजा के साथ एक नई धुन दी, हिन्दी सिनेमा को तीन दशक तक संगीत बद्ध करने के बाद आर डी बर्मन साहब ने दुनिया से विदा ली और हिंदी सिनेमा पर संगीतकारों के एक अलग समूह ने शासन स्थापित करना प्रारम्भ किया।

और हाँ इसी दौरान इंडिपॉप और इसके ऑफशूट भांगड़ा-पॉप ने सिनेमा संगीत को कड़ी टक्कर दी,,यह वो भी दशक था जब डुप्लिकेट कैसेट्स बेचे जाने के कारण पाइरेसी चिंता का विषय बनी रही, और मुक्त घर टेपिंग ने उद्योग के राजस्व को प्रभावित किया, एच म वी को इसी दौरान कई प्रतिद्वंदी भी मिले।

नब्बे का दशक ” आशिकी” से शुरू हुआ और रोमांस भरे संगीत से जाना जाएगा, और दोस्तों यकीन कीजिए उस दशक के युवा आज भी उसी संगीत को दोहराते होंगे।

उस दशक से सिर्फ दस हीरे ढूंढ लाना बहुत मुश्किल होगा, इसीलिए हम संगीत की इस सीरीज को कई भागों में विभाजित करेंगे, जैसे बहु चर्चित, रोमांस, हिन्दी पॉप, गैर फिल्मी, गजल, आदि। हम इस भाग में बहुचर्चित फिल्मी संगीत से शुरुआत करेंगे और उन दस गानों की बात करेंगे जो आते ही सबकी जुबां पर चढ़ गए।

१. जुम्मा चुम्मा दे दे (हम – १९९१).. अमिताभ साहब की कमबैक फिल्म का यह गाना सुदेश भोसले ने गाया था और बच्चन जी की आवाज को इतना जंचता था कि कई श्रोताओं को यह जानकर हैरानी हुई कि यह गाना उन्होंने ने नहीं गाया था।

२. धक धक करने लगा (बेटा – १९९२)..एक दो तीन (तेजाब,) तमा तमा लोगे (थानेदार), तू शायर है (साजन) जैसे सुपरहिट गानों एवं फ़िल्मों के बाद, बेटा फिल्म के इस गाने से माधुरी दीक्षित “धक धक गर्ल” के नाम से मशहूर हो गई थी, इस गाने ने बॉलीवुड में धूम मचा दी थी।
३. चोली के पीछे क्या है (खलनायक – १९९३) .माधुरी पर फिल्माए गए इस गाने ने बहुत विवाद पैदा किया और 2013 में, बीबीसी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में इसे बॉलीवुड के इतिहास में सबसे हॉट गीत के रूप में चुना गया था, गाने के लिए फ़िल्म फैयर का बेस्ट सिंगर, एवं बेस्ट कोरियोग्राफर का पुरस्कार भी मिला था।
४. टिप टिप बरसा पानी – मोहरा (१९९४): – मोहरा फिल्म ने उस समय दो सुपरहिट गाने दिए , तू चीज बड़ी है मस्त एवं टिप टिप बरसा पानी । रवीना टंडन के इस उत्तेजक गाने ने खूब रिकॉर्ड तोड़े, अक्षय कुमार इस गाने को अपनी अगली फिल्म सूर्यवंशम में पुनः लेकर आ रहे हैं ।
५. ओले ओले , जब भी कोई लड़की देखूं ( ये दिल्लगी – १९९४ ) -छब्बीस साल पहले सैफ ने इस गाने से अपनी पहचान बनाई थी, और उन दिनों यह गण नेशनल एंथम की तरह बजाय जाता था । फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित इस गाने ने युवाओं को दीवाना बना दिया था । आपको यह जानकर भी हैरानी होगी की यह भारतीय सिनेमा का पहला गण है , जिसे उसी कलाकार पर दो अलग अलग जनरेशन की फिल्मो में फिल्मांकित किया गया है, जी हाँ, यह गाना २०२० की फिल्म जवानी जानेमन में पुनः फिल्माया गया है ।

६. मुकाला मुकाबला – हमसे है मुकाबला (१९९४ )- बात जब नब्बे के दशक की हो तो, ए आर रहमान साहब का जिक्र आना स्वभाविक है , इस दशक में रहमान साहब ने भारतीय सिनेमा को एक नया संगीत दिया, फिल्म रोजा से उन्होंने संगीत निर्देशन की शुरुआत की । मुकाबल गाना तमिल फिल्म Kadhalan के गाने मुक्काबला से ही प्रेरित था । इस गाने ने बहुत तेज़ी से २५ लाख रिकार्ड्स बेच डाले । २०१९ में यह गाना फिर रीमिक्स होकर प्रदर्शित हुआ है।
७. हो जा रंगीला रे (रंगीला -१९९५ ) – उस साल की बहुचर्चित फिल्मो में एक रंगीला के इस गाने ने उर्मिला मांतोडकर को रातो रत शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया, गायिका आशा भोसले जी की दूसरी पारी में यह गाना बहुत अहम् साबित हुआ । ए आर रेहमान के संगीत ने सिनेमा जगत को संगीतमय बना दिया था ।
८। आती क्या खंडाला (गुलाम – १९९८ )- यह गीत आते ही सुपर हिट बन गया और बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है, यहाँ तक कि रानी मुखर्जी को इस गाने से खंडाला गर्ल के रूप में जाना जाने लगा, और खंडाला एक चर्चित पिकनिक स्थल बन गया । यह दशक का पहला गीत था जिसमे में अभिनेता ने ही प्लेबैक और परदे पर गाने में अभिनय भी किया था ।

९। छैया छैया चल छैया छैया (दिल से – १९९८ ) –) इस फिल्म से इतने बड़े बड़े नाम जुड़े हैं की सबको जगह देना मुश्किल हो जायेगा । गाने की बात की जाये तो उन दिनों रहमान साहब का संगीत हवाओं में था, और २००२ में बीबीसी द्वारा आयोजित सबसे चुनिंदा अंतर्राष्ट्रीय गानों के पोल में इस गाने ने नवा स्थान प्राप्त किया था। गुलजार, सुखविंदर ,फरहा खान, शाहरुख़ खान मलाइका अरोरा जैसे लोग जब गाने से जुड़े हो तो सुपरहिट तो होगा ही । वर्ष के सारे फिल्मफेयर पुरष्कार इस गाने ने ही जीत थे।

१०। नीम्बुड़ा (हम दिल दे चुके सनम – १९९९) – अगर नीम्बुड़ा को नब्बे के दशक से याद न किया जाये तो यह एपिसोड अधूरा रह जायेगा, जहाँ इस दशक में एक से एक धुरंधर संगीतकार आये, इस्माइल दरबार ने इस गाने से अपना अलग मुकाम बनाया । कविता कृष्णमूर्ति ने अपनी बेहतरीन आवाज से इस गाने को सदाबहार बना दिया । इसी फिल्म से ढोली थारो ढोल बजे एवं सुभाष घई की फिल्म ताल के गाने – “ताल से ताल मिला ” ने भी इस दशक के बहु चर्चित गानों में अपना स्थान बनाया ।

आशा है आपको यह एपिसोड पसंद आय होगा, अगले एपिसोड में बॉलीवुड ने नब्बे के दशक से कुछ और रोचक , मनोरंजक यादों के साथ फिर उपस्थित होंगे ।

 

 

By विष्णु सैनी, अर्पणा सैनी