टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (5 फरवरी 2022): उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान मचा हुआ है, लेकिन इसी बीच बागी नेताओं के तेवर सियासी दलों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
चुनाव में जीत हार तो नतीजों के बाद ही पता चलेगी, लेकिन बागी चेहरे भी मतों का विभाजन कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। सभी सीटों पर कुछ बागी चेहरे नजर आ रहे हैं तो कुछ टिकट न मिलने से मैदान में तो नहीं उतरे, लेकिन बागी जैसा ही काम करेंगे। ऐसे में विरोधी चेहरों की नाराजगी नतीजों पर न दिखे, इसलिए उन्हें मनाने का काम चल रहा है।
इसी में एक हैं अखिलेश सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ला। सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर जाना पहचाना चेहरा है। पुराने नेताओं में शामिल शारदा प्रताप ने सरोजनीनगर विधानसभा सीट से तीन बार विधायकी भी जीती थी और इसमें 1984 का चुनाव तो निर्दलीय ही जीता था तो 1989 में जनता दल के टिकट से बाजी मारी थी। 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का परचम फहराया था। शारदा ने सरोजनीनगर से सपा से दावेदारी की थी, लेकिन पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र को उत्तर विधानसभा से टिकट न देकर सपा ने सरोजनीनगर से मैदान में उतारा। माना जा रहा है कि सपा ने ऐसा कर ब्राह्मण कार्ड खेला है।
लेकिन शारदा प्रताप साइकिल की रफ्तार कम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। सरोजनीनगर में तीन लाख शहरी वोटर हैंः सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 5,57,376 है। इसमें 2007 के बाद हुए परिसीमन से सरोजनीनगर सीट में शहरी क्षेत्र भी जुड़ गया था, जिसमें करीब तीन लाख मतदाताओं की संख्या शहरी क्षेत्र की जुड़ गई है। इसमें कानपुर रोड एलडीए कालोनी के साथ ही आशियाना, ट्रांसपोर्टनगर, पीजीआइ क्षेत्र, इब्राहिमपुर, शारदा नगर, तेलीबाग भी शामिल हैं।
पश्चिम सीट पर भी दिखी नाराजगीः पश्चिम विधानसभा सीट पर भी टिकट न मिलने पर दिवंगत पूर्व विधायक सुरेश श्रीवास्तव के पुत्र सौरभ श्रीवास्तव ने भी नाराजगी जताई है। भाजपा उम्मीदवार अंजनी श्रीवास्तव और दिवंगत विधायक सुरेश श्रीवास्तव तो भाजपा से ही है, लेकिन दोनों के बीच काफी कटुता थी। पूर्व विधायक के पुत्र भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे। अब सौरभ श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल कर अपना दर्द सार्वजनिक किया है। कहा कि माता-पिता राजनीति की भेंट चढ़ गए। राजनीतिक परिवार से होने से सुरक्षा एजेंसियों में नौकरी के अवसर भी नहीं मिल सके। राजनीति से कुछ मिलना था तो वह अवसर भी मुझसे छीन लिया गया। पार्टी के बड़े नेताओं को उनकी अयोग्यता का कारण बताना चाहिए, वहीं टिकट कटने के बाद सौरभ के समर्थकों ने भी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, संगठन मंत्री को ट्वीट कर टिकट कटने का कारण पूछ रहे है।
उत्तर और कैंट में भी दिख रही नाराजगीः वैसे तो उत्तर विधानसभा सीट से सपा से कई दावेदार थे, लेकिन पूजा शुक्ला को टिकट मिलने से नाराजगी भी सामने आ गई। दावेदारों में शामिल पूर्व पार्षद मुकेश शुक्ला के साथ ही दीपक रंजन भी हैं, जो टिकट न मिलने पर अपनी नाराजगी जताने के लिए अखिलेश यादव से मिलने भी गए थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। उधर, कैंट सीट से भाजपा ने ब्रजेश पाठक को मैदान में उतारा है, लेकिन मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी के समर्थक इसे पचा नहीं पा रहे हैं। इसी तरह सपा ने पूर्व पार्षद सुरेंद्र सिंह गांधी को टिकट दिया है, लेकिन दावेदारों में शामिल कई नेता विरोधी भूमिका में दिख रहे हैं।
अब इन बागियों के तेवर सियासी दलों के लिए कितना नुकसानदेह होगा यह तो 10 मार्च को ही स्पष्ट हो सकेगा।