टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (16/06/2022)
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक मामले में सुनवाई करते हुए नोएडा विकास प्राधिकरण को ऑपरेशनल क्रेडिटर माना है, यानी कामकाज के संचालन वाले ऋणदाता के श्रेणी में रखा है, ना की वितीय ऋणदाता के श्रेणी में। इस कारण से दिवालिया प्रक्रिया के दौरान बिल्डरों से आने वाले पैसे को सबसे पहले कर्जा देने वाले बैंक व फिर फ्लैट खरीदारों को दिया जाएगा। यदि पैसा बचता है तो अंत में प्राधिकरण को मिलेगा। इससे प्राधिकरण को अपना पैसा एवं भूखंड दोनों ही फंसता दिख रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि फाइनेंशियल क्रेडिटर होने पर प्राधिकरण को भी पैसा प्राथमिक तौर पर दी जाएगी। अब प्राधिकरण खुद को फाइनेंशियल क्रेडिटर की श्रेणी में रखने के लिए यूपी सरकार को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता साहिंता में संसोधन करवाने हेतु पत्र लिखा है।
बता दें कि एनसीएलटी में चल रहे करीब 22 केस में प्राधिकरण का 6200 करोड़ फंसा हुआ है। मई में एक केस में फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण को आईबीसी के तहत वित्तीय ऋणदाता नहीं, बल्कि कामकाज संचालन को सामान देने वाला ऋणदाता माना है।