टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (31/07/2022): मंकीपॉक्स का उपचार आयुर्वेद के जरिए संभव हो सकता है यह कहना है कि आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के सदस्य व सेक्टर 41 स्थित आरोग्य सदन के वेद अच्युत कुमार त्रिपाठी का। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि रक्त विकारों में ऑक्सीजन के साथ मरकरी,जिंक, लेट और अन्य विषैली युक्त पदार्थ हवा में मिलकर सांस लेते समय फेफड़ों के अंदर पहुंचकर रक्त को दूषित कर रहे हैं रोग के निदान के लिए रक्त शुद्धीकरण का प्रयोग जैसे वनस्पति क्वाथ के साथ प्रयोग करने से भी लाभ होता है
उन्होंने बताया कि जब इस रोग में रक्त दूषित हो जाता है तो रक्त के साथ दूषित पदार्थ मिलकर त्वचा में एक प्रकार से छोटे-छोटे दानों के साथ लाल रंग के चकत्ते उत्पन्न हो जाते हैं इससे त्वचा में खराश, तेज खुजली जैसे लक्षण भी होने लगते हैं त्वचा लाल रंग की हो जाती है रोगी को हल्का बुखार, सिरदर्द बेचैनी के साथ त्वचा में जलन भी होने लगती है ऐसी स्थिति में आयुर्वेद दवा बहुत ही लाभकारी साबित होती है।
कभी-कभी रोगी को पसीनो गर्मी के कारण वर्षा में भीगने से हो जाता है एक प्रकार की एलर्जी के रूप में होता है जिसे पित्त भी कहते हैं यही बाद में होकर मंकीपॉक्स का रूप ले लेता है ऐसी स्थिति में खुजली होने पर परमवीर रूप से नारियल के तेल में कपूर मिलाकर नहाने के बाद पूरी शरीर में लगाना चाहिए और चिकित्सक की देखरेख में रस माणिक्य ,स्वर्ण बसंत, मालती रस आदि का प्रयोग करने से लाभ होता है।।