टेन न्यूज़ नेटवर्क
नोएडा (20/05/2023): 14 मई, रविवार को नवरत्न फाउंडेशन ने नवरत्न वार्षिक पुरस्कार समारोह ‘समर्पण’ का आयोजन किया। इस दौरान पूर्व आईएएस अधिकारी एवं भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी.सिंह ने कहा कि तांशिक दान वह होता है जिसमें आप किसी परेशान व्यक्ति को मजबूरी में कुछ देते हैं जैसे कि एक भिक्षुक को देते हैं और उसमें तिरस्कार का भाव होता है। दूसरा राजश्री दान है, जो इस दान से थोड़ा अच्छा होता है। राजश्री दान वह होता है, जिसमें लोगों की ज्यादा संख्या देखते हैं। इसे पतंजलि योग दर्शन में समतल समाज कहा गया है।
उन्होंने आगे कहा कि इसमें व्यक्ति अच्छा होता है उसके अंदर अच्छा करने का बोध है लेकिन वह लोकेशना की प्रवृत्ति से रोग ग्रस्त होता हैं। वह जितना करता है उससे कई गुना समाज से यश के रूप में वसूलना चाहता है। वो राजश्री दान है। उस दान से भी ऊपर उठने की जरूरत है। इस दान से ऊपर तब उठ सकता है इंसान समाज जब वह एकम समाज में हो। प्रत्येक प्राणी में प्रत्येक प्रकृति के खंड-खंड में ईश्वर का बोध हो। जब ये भाव आता है तो असली भाव होता है। उन्होंने आगे कहा कि जब आप केवल देने के भाव से दान करते हैं तब उसे सात्विक दान कहा जाता है।।