प्रसिद्ध ओड़ीसी नृत्यांगना डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव से लोकगीत गायिका रक्षा त्रिपाठी से विशेष बातचीत। टेन न्यूज लाइव

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नोएडा (30 मई, 2023): टेन न्यूज लाइव का विशेष कार्यक्रम संजीवनी: एक संघर्ष की कहानी श्रंखला के इस पड़ाव में हमारी खास मेहमान ओडीसी नृत्यांगना ज्योति श्रीवास्तव रही और मंच का संचालन लोक गीत गायिका रक्षा त्रिपाठी ने किया।

शास्त्रीय संगीत एक कला है। यह एक संस्कार है। और संस्कार को जबरदस्ती नहीं सिखाया जा सकता। संजीवनी: एक संघर्ष की कहानी कार्यक्रम समाज को जागरूक बनाने की एक पहल है। डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव ने कहा कि शास्त्रीय संगीत जो व्यक्ति सीखना चाहते हैं उन्हें यह संस्कार ईश्वर द्वारा मिला है परंतु आज कला को निरंतर रख पाना एक कठिन कार्य है, क्योंकि कला की शुरुआत में पूंजी की समस्या आना स्वभाविक है। कई बार ऐसी परिस्थितियां भी बनती हैं कि यदि कला को कंटिन्यू करें, तो रोजी-रोटी खतरे में आ जाती है। नौकरी करें तो कला के सपने टूट जाते हैं।

इस ओर जनता और कॉर्पिरेट्स को सहयोग देने की आवश्यकता है आज कला से जुड़े हुए मुख्यत: सभी कार्यक्रम फ्री कराए जाते हैं, जिससे कलाकार का हतोत्साहन होता है। कला द्वारा पैसे कमाने की स्थिति में यदि वह स्कूल में पढ़ाने चला जाए, तो उसकी कला वहीं समाप्त हो जाती है। क्योंकि कलाकार को स्कूल नहीं मंच की आवश्यकता होती है। डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव ने टेन न्यूज लाइव शो में कहाँ कि मैं अकेले हाथ से बड़ा कुछ तो नहीं कर सकती पर एक छोटी कोशिश में कर रही हूं मैं हर वर्ष गुरुप्रणाम उत्सव का आयोजन करवाती हूं जिसके माध्यम से मैं शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को मंच प्रदान करती हूं। आगे आप ने कहाँ हैं कि आप राम की पूजा करते हो या कृष्ण की पूजा करते हो आप ईश्वर की ही पूजा कर रहे हो। इसी प्रकार विभिन्न कलाएं ईश्वर के अलग-अलग रूप हैं आपको जो कला पसंद है आप उसे धारण करें।

आज मुख्यत: 64 कलाएं हम सभी जानते हैं परंतु बिना पूंजी का लक्ष्य तय किए हुए इसका आरंभ करना होगा। परंतु बच्चे के भाव उत्पन्न होने का श्रेय माता पिता को जाता है, भारत में परिवारों में अपनी परंपराओं को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होने के कारण बच्चों में सौंदर्य बोध की कमी आई है। आज परिवार और समाज को कलाकारों की बैकबोन बनने की जरूरत है। यदि आप सरस्वती को पूजोगे तो स्वाभाविक रूप से लक्ष्मी आपके पास आएगी परंतु यदि लक्ष्मी को पूजोगे तो यह कहा नहीं जा सकता कि सरस्वती आएगी या नहीं।

डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव कहती हैं कि भगवान के आशीर्वाद से उनके जीवन में कोई खास समस्या नहीं आई वह आज गुरु शिष्य परंपरा के जरिए शिष्यों का मार्गदर्शन कर रही हैं और उनके गुरु द्वारा सिखाए गए सूत्रों के द्वारा ही वह आज नृत्य सिखा रही हैं। जिस तरह भरतमुनि के 108 शिशु को ही उनके पुत्र की उपाधि दी गई थी उसी प्रकार उनका उनके शिष्यों के साथ माता – पुत्र जैसा संबंध बन जाता है।

डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव ने कहा कि आधुनिक तरीके का प्रयोग संगीत और नृत्य को सिखाने के लिए किया जाता है उनमें गहराई कम होती है। जिस प्रकार खाने को जीरे के द्वारा साधारण रूप से भी बनाया जा सकता है परंतु पुराने तरीके से आहार बनाना स्वाद के नए रंग को पहचानने जैसा है। आज शिक्षकों को सिखाने के लिए स्वयं में अनुशासन लाना होगा। उन्हें वेदांत पढ़ने से ऊर्जा प्राप्त हो सकती है, जिसके द्वारा अच्छी शिक्षा और शिक्षक बन सकते हैं एक नृत्य की झलक दिखाते हुए इस लाइव कार्यक्रम का समापन किया।

पाठकों से अनुरोध है की इस श्रृंखला में और भी बड़े कलाकारों को जोड़ने के लिए आप हमें news@tennews.in पर सुझाव ज़रूर भेजे । और यह कार्यक्रम आप को कैसा लगा आप हमें कमेंट में बता सकते हैं , अपने सुझाव भी दे सकते है । इस कार्यक्रम के दौरान कमेंट से आप हमारे मेहमान को सवाल भी पूछ सकते है ।