टेन न्यूज़ नेटवर्क
नोएडा (18 जुलाई 2023): बीते कई दिनों से दिल्ली और नोएडा में यमुना के आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। ऐसे मौके पर कई लोग बाढ़ की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रशासन के साथ-साथ अनेकों सामाजिक संस्थाएं एवं समाजसेवी भी उनकी मदद और मानसिक रूप से उन्हें हौसला देने का काम कर रही है। इस सिलसिले में एक्टिव एनजीओ ग्रुप भी काफी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
नवरत्न फाउंडेशनस के अध्यक्ष डॉ अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि यह बाढ़ प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की वजह से आई है। उनका कहना है कि यदि प्रकृति के साथ खेला जाएगा तो इस तरह की समस्याएं बनती रहेगी। हालांकि किसी भी रेजिडेंशियल एरिया में इस तरह की समस्या नहीं देखी जा रही है जिन जगह पर भी बाढ़ के हालात बने हैं उनमें अधिकतम क्षेत्र ऐसा है जो डूब क्षेत्रों की श्रेणी के अंतर्गत आता है।
वे आगे कहते हैं कि यह ज़िला प्रशासन और नोएडा प्राधिकरण की जिम्मेदारी थी कि वह अवैध निर्माण को रोकते । आज जो समस्या बन रही है उसमें प्रशासन का भी योगदान है। 1979 में आई बाढ़ में डूब क्षेत्रों में किसी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं था। परंतु मानव हित और परोपकार धर्म को ध्यान में रखते हुए एक्टिव एनजीओ की कई संस्थाएं पीड़ित क्षेत्रों में मौजूद हैं और काफी सक्रिय भूमिका निभा रही है। हमने 2 टीमों का निर्माण किया है जिसमें पहली टीम बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का आकलन करेगी जिसकी अध्यक्षता रंजन तोमर करेंगे और इसके साथ साथ महिला संबंधी जरूरतों और मानसिक रूप से लोगों को समझाने के लिए एक महिला समूह का निर्माण भी किया गया है जिसकी अध्यक्षता विमलेश शर्मा करेंगी। हालांकि यह पानी की स्थिति इन जगहों पर अभी आने वाले दिनों में हटने वाली नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में भी एक्टिव एनजीओ ग्रुप सभी पीड़ित व्यक्तियों के साथ खड़ा रहेगा।
वहीं नव उर्जा मंच के पुष्कर शर्मा का कहना है कि यमुना के आसपास के क्षेत्रों में जो भी निर्माण हुआ है वह पूर्ण रूप से अवैध है। इसके साथ साथ प्रतिबंधित क्षेत्र पर निर्माण होने में प्रशासन एवं प्राधिकरण की गलती है। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोग भी ऐसी जगहों पर बसेरा करने का प्रयास करते हैं जहां लोगों की संख्या कम हो। हमने कोरोना के समय पर देखा था कि कई लोग ड्राई फूड प्रोडक्ट्स को स्टोर करना शुरू कर दिया था ऐसे में पका पकाया खाना प्रोवाइड करना एक समझदारी वाला कार्य होगा। आज से तकरीबन 35 साल पहले यह स्थल सेना अभ्यास स्थल के लिए जाना जाता था। परंतु प्रशासन की मिलीभगत के कारण इस तरह की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। हालांकि पशुओं की समस्या एक अहम समस्या देखी जा सकती है। मनुष्य के हस्तक्षेप और प्रकृति के प्रति उनके दुर्व्यवहार के कारण ही इस प्रकार की स्थितियां बनी हैं।
स्टार्टअप भारत के मनीष गुप्ता का कहना है कि जहां पर बाढ़ आई है या बाढ़ की स्थितियां बनी है, वह जगह निर्माण कार्य के लिए वैध नहीं है। पानी हर बार क्षेत्र में आता है, हालांकि इस बार ज्यादा आ गया। वहां आवास बनाकर उस एरिया को बिजनेस प्वाइंट बनाना, यह अपने आप में ऐसी स्थिति को बढ़ावा देने वाला कार्य है। जिस समय बाढ़ आती है लोगों का और प्रशासन का ध्यान उस तरफ जाता है। परंतु बाद में यह मामले ठंडे हो जाते हैं और फिर से वहां पर आवास बसने लग जाते हैं। परंतु सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि डूब क्षेत्र में आवास और बिजनेस प्वाइंट बनाने के लिए इन्हें किस का संरक्षण प्राप्त है? यह भी अपने आप में एक बड़ी बात है, कि झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की पहचान क्या है? जिन मवेशियों को उन्होंने पाला है उनका उपभोग भी वही कर रहे हैं। इसीलिए अपने निजी मवेशियों के लिए प्राइवेट रेस्क्यू की व्यवस्था भी वहां बिजनेस प्वाइंट बनाने वाले लोगों को करनी चाहिए। प्रशासन को वहां के क्षेत्रों की देखभाल के लिए वहां के लोगों का ही प्रयोग करके यानी वही के लोगों की मेन पावर का उपयोग करके वही इस्तेमाल किया जाए तो यह वहां के लोगों के लिए रोजगार देने का कार्य करेगा।
बता दें कि यमुना में जलस्तर बढ़ने के कारण डूब क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति भयावह बनी हुई है।।