कांग्रेस, कर्नल और कलंक – आलेख चन्द्रपाल प् रजापति नोएडा।

8 साल 8 महीने बाद कर्नल पुरोहित को जमानत मिल गई। धन्य है वह पत्नी जिसने इतने समय तक कड़ी तपस्या कर अपने पति का इंतजार किया। कांग्रेस के कर्मों की सजा कर्नल पुरोहित ने झेली और जेल काटी। एक फौजी आखिर एक फौजी ही होता है जिसके लिए भारत माता सबसे पहले आती है। और यह फौजी होने की वजह से ही इतना सब कुछ सहन कर पाये।और कोई और होता तो घुट-घुट कर मर जाता। कर्नल पुरोहित को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था यह स्पष्ट हो चुका है। कांग्रेस ने जिस तरह हिंदू आतंकवाद के साथ साजिश रची थी और उसका जिसके लिए कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा को जिस तरह से कांग्रेस ने प्रताड़ित किया वह पूरा देश जान चुका है।

2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पहली बार यह खुलासा हुआ कि कर्नल पुरोहित पर अब तक चार सीट नहीं हुई है। इस दौरान सेना उन्हें बेगुनाह मानती रही और उन्हें हर महीने वेतन मिलता रहा है। सेना कहती रही कि कर्नल पुरोहित उनके मिशन पर थे लेकिन उन्हें सियासी साजिश के तहत फंसा दिया गया था। मोदी सरकार आने के बाद तेजी से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई। 15 अप्रैल 2015 को भी सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, इसलिए उनकी जमानत पर विचार होना चाहिए। उन पर मकोका भी हटा दिया गया। आज जमानत मिल चुकी है और सच भी सामने आएगा।

ऐसे समय में जब सुप्रीम कोर्ट कर्नल पुरोहित को जमानत दे चुका है तब कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का ट्वीट "कर्नल पुरोहित को जमानत मिल गई यह उम्मीद के अनुरूप है क्योंकि भाजपा सरकार सभी बम विस्पोट मामलों में आरएसएस से जुड़े सभी आरोपियों को बचा रही है" यह सोच भी एक शर्मनाक है जो कांग्रेस की कलंकित मानसिकता को दर्शाती है। कुछ दिन पहले ही ही समझौता ब्लास्ट को लेकर एक अंग्रेजी न्यूज चैनल ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कांग्रेस को पूरे देश के सामने बेनकाब किया था। और देश को दिखाया था किस तरह से असली पाकिस्तानी आतंकियों को कांग्रेस ने बिना जांच के पाकिस्तान भेज दिया था। और हिंदू आतंकवाद की परिभाषा गढ़ने के लिए हिंदुओं को जेल में बंद कर दिया था ।

चंद्रपाल प्रजापति नोएडा
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