अगर आप फिल्मों के शौक़ीन हैं और आज भी यह विश्वास कायम है कि फिल्में भरपूर मनोरंजन करती हैं तो आप ‘अ जेंटलमैन’ से थोड़े निराश होंगे | फिल्म की कहानी को नया बनाने की असफल कोशिश की गयी है | निश्चित रूप से निर्देशक राज और डीके की मेहनत में कोई कमी नहीं रही, पर खाली हवाबाजी से काम नहीं चलता है |चालू मसाला भरने के साथ-साथ किसी समझदार आदमी से थोड़ा स्क्रिप्ट पर भी नजर डलवा लेते तो फिल्म और बढ़िया बन सकती थी |अगर आप सिद्धार्थ और जैक़लीन के फैन हैं तो आप सारा काम-धाम छोड़ कर यह फिल्म जरूर देंखें क्योंकि एक फैन का यह सामाजिक कर्तव्य है कि वो अपने पसंदीदा कलाकारों की हर अदाकारी से पूरी तरह अपडेट रहे |
फिल्म की कहानी एक जेंटलमैन गौरव (सिद्धार्थ मल्होत्रा ),काव्या (जैकलीन ) और ऋषि (सिद्धार्थ मल्होत्रा ) को लेकर इधर-उधर भटकती हुई अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त होती है | फिल्म में कर्नल (सुनील सेट्ठी) के इशारे पर काम करने वाला फाइटर ऋषि जुर्म की दुनिया से निकलना चाहता है पर अंतिम टास्क पूरा करते ही कर्नल के साथी उसे मारने के पीछे पड़ जाते हैं , फिर शुरू होता है जेंटलमैन गौरव और ऋषि के बीच होने वाला कन्फ्यूजन जो कर्नल के आदमी नहीं समझ पाते पर थियेटर में बैठा फिल्मों का शौक़ीन आदमी समझ जाता है फिर उसको लगने लगता है कि आधे टिकट का पैसा वसूल नहीं हो रहा है | मेरे कहने का मतलब फर्स्ट हॉफ में आपको कुछ अच्छा लगेगा पर सेकंड हॉफ में फिल्म की कमजोरी आपको सर खुजलाने पर मजबूर कर सकती है | हाँ आप शहरों में रहने वाले देश के होनहार युवा है तो अपने साथी दोस्तों के साथ इस सेमी ग्लैमरस,रोमांटिक और एडवेंचरस सिनेमा का लुत्फ़ उठा सकते हैं ,भीड़ के साथ रहेंगे तो आप को फिल्म की कमजोरियां नहीं दिखेंगी और ऑटोमैटिक फिल्म अच्छी लगनी लगेगी |
सिद्धार्थ डांस करते हुए हैंडसम लग रहे हैं,पर गोलियाँ चलाते हुए एंग्रीमैन लुक देने में फेल दिखाई दिए | फिर भी कुल मिलाजुला कर अच्छी एक्टिंग की है |उन्हें अब थोड़ा पारिश्रमिक बढ़ाने पर विचार करना चाहिए ,एक्टिंग के प्रति जिम्मेदारी और बढ़ेगी तो और फायदा होगा |
जैकलीन ने भी वही किया जिसके लिए उन्हें फिल्म में रखा गया है लेकिन अब उन्हें कुछ फ़िल्मी भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए ,कोई निर्देशक उनसे कुछ नया नहीं करवाएगा पर इंडस्ट्री में रहना है तो उन्हें अपने लिए नए-नए किरदार भी ढूढ़ने पड़ेंगे |
अन्य कलाकारों में सिद्दार्थ के दोस्त के रूप में हुसैन दलाल प्रभावित करते हैं ,दर्शन कुमार का दर्शन भी दर्शकों को राहत देता है ,सुनील सेट्ठी ने अपना काम बखूबी निभाया है वैसे भी वो फिल्म इंडस्ट्री में अमर हो चुके हैं तो अब जैसी भी एक्टिंग कर जाएँ ,सर आँखों पर | गानों की बात करें तो बस काम चल पाया है | कुछ एक्शन सीन आपको देखकर अच्छा लगेगा ,कुछ देखा हुआ लगेगा |फिल्म में मियामी की खूबसूरत लोकेशन सिनेमा के बड़े पर्दे पर और भव्य लगेगी |
अंत में ईमानदारी से यही कहना चाहूंगा कि कुछ नया चाहने वाले इस फिल्म से निराश होंगे ,फिल्म बुद्धजीवी लोगों का टाइम पास भी नहीं होगा है | युवा साथी जरूर एक बार देख सकते हैं | बहुत अच्छा नहीं लगेगा तो बहुत बुरा भी नहीं लगेगा |
–विनोद पाण्डेय