दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की मार देखने को मिल रही है | वही गौतमबुद्ध नगर के शहरवासियों का प्रदूषण से बुरा हाल है। एक माह में 14 बार से भी ज्यादा पीएम-10 का स्तर 500 के खतरनाक स्तर से ऊपर हो चुका है। वायुमंडल में आक्सीजन की भारी कमी महसूस की जा रही है। जिसको लेकर सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। विभिन्न अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार जितने मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं, उनमें कम से कम 35 से 40 फीसद मरीज प्रदूषण की वजह से ही प्रभावित हैं। यानि साफ कहा जा सकता है कि शहर का हर तीसरा व्यक्ति प्रदूषण का शिकार है।
वही इस मामले में स्वास्थ विभाग के अधिकारीयों का कहना है की यदि आगामी दिनों में भी प्रदूषण का यही स्तर बरकरार रहा तो शहर का हर दूसरा व्यक्ति प्रदूषण का शिकार होगा। इसका मतलब है कि आधा शहर प्रदूषण की गिरफ्त में होगा। यह स्थिति वाकई में भयावह है। वायुमंडल में विभिन्न तरह के प्रदूषण व धूल कणों के बढ़ने से आक्सीजन लगातार कम हो रही है। दूसरी तरह कार्बन, सल्फर, मर्करी, लेड, कार्बन मोनो आक्साइड जैसी गैसें व तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही है। यह तत्व सांसों के जरिये फेफड़ों में प्रवेश कर रक्त में आक्सीजन की कमी पैदा कर रहे हैं। इससे लोग खांसी, सांस फूलने, दमा, अस्थमा, हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, जुकाम, नजला, सर्दी, नाक बहना, सिरदर्द, चक्कर, उल्टी, न्यूरो समस्याएं, तनाव, अनिद्रा, बेचैनी इत्यादि के तेजी से शिकार हो रहे हैं। इनमें बच्चे व बुजुर्गो की संख्या अधिक है। इसके अलावा युवा भी प्रभावित होने लगे हैं।