पुलिया चार महीने से टूटी है
सड़क जनता से पूरी तरह रूठी है
सीवर का पानी ऊपर से बह रहा है
शहर के विकास की कहानी कह रहा है
ट्रेफ़िक रूल ठेंगे पर है
पब्लिक पुलिस के ऊपर है
लोग दाएँ-बाएँ हर जगह से जा रहें हैं,
दरोग़ा की खड़े होकर बतिया रहे हैं
सुबह-शाम लगता है
रोज भयंकर जाम लगता है
सुख चैन व्यवस्था परिवर्तन की भेंट चढ़ जाता है
जिसका स्वाभिमान जगता है वो सरकार को गरियाता है
प्राधिकरण आँख बंद कर अपना काम कर रहा है
जनता नेताजी को बदनाम कर रही है
नेता जी कह रहें अब आप कौन है
विकास हो रहा अतः सब मौन है
हर जगह है लाचारी
व्यवस्था संभालने की पूरी जिम्मेदारी
सिर्फ़ और सिर्फ़ एक साइन बोर्ड के ऊपर है
जिस पर लिखा है कार्य प्रगति पर है
(विनोद पाण्डेय)