प्रदेश सरकार चाहे कितने भी ईमानदारी के दावे करे अपितु नॉएडा में फैले भ्रस्टाचार की जड़ें हिलाने में सरकार भी असफल दिखाई दे रही है , इस बार एक बड़ा धमाका करते हुए आर टी आई कार्यकर्ता एवं दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्री रंजन तोमर ने एक बड़े घोटाले से पर्दा हटाया है , हाल ही में श्री तोमर ने आर टी आई लगाकर यह जानकारी मांगी के क्या निजी अस्पताल आम इंसान से अपने यहाँ गाडी खड़ी करने पर पार्किंग शुल्क वसूल सकते हैं ,पहली बार तो प्राधिकरण ने गोलमोल जवाब देकर बात को दबाने की चेष्टा की, फिर श्री तोमर ने बार बार आर टी आई लगाई और संस्थागत विभाग से जानकारी जुटाई।
जवाब में प्राधिकरण ने यह साफ़ करदिया है के ‘प्राधिकरण के संस्थागत विभाग द्वारा निजी अस्पतालों को आवंटित भूखंडो के पटटा प्रलेख में पार्किंग फीस लिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है ! इससे साफ़ होता है के प्राधिकरण एवं प्लाट मालिक के बीच हुए करार में पार्किंग शुल्क वसूलने का अधिकार अस्पताल मालिक को नहीं दिया गया है , और कानून के अनुसार यदि अनुबंध की शर्तों को तोडा जाए तो दूसरा पक्ष कानूनी कार्यवाही कर सकता है यहाँ तक के अनुबंध भी समाप्त कर सकता है , उसके ऊपर नॉएडा प्राधिकरण एक सरकारी तंत्र है , उसपर देशहित की ज़िम्मेदारियाँ और भी ज़्यादा हैं , फिर क्यों प्राधिकरण चुप चाप मूक दर्शक बना हुआ है , इससे साफ़ पता चलता है के प्राधिकरण के कुछ अफसर इस खेल का हिस्सा हैं जिनकी शै पर यह कार्य चल रहा है , नॉएडा में बहुत सारे निजी अस्पताल हैं ,जिनमें से कई में इस तरह का पार्किंग शुल्क वसूला जाता है , उदाहरण के तौर पर फोर्टिस अस्पताल में एक बार गाडी लगाने के पचास रुपए तक वसूले जाते हैं ,साथ ही दिनभर पार्किंग का सौ रुपए का अलग रेट हैं , शहर में हज़ारों गाड़ियां एक दिन में इन अस्पतालों की पार्किंग में खड़ी होती हैं, यदि हिसाब लगाया जाए तो लाखों का शुल्क प्रतिदिन अस्पताल मालिक की जेब में जाता है , जबकि यदि यह पैसा न लिया जाए या अगर सरकार के पास जाए तो शायद शहर का कुछ भला हो सके। इस पैसे से कुछ सरकारी विद्यालयों की स्तिथि सुधर जाए या कहीं किसी गरीब इंसान को नौकरी के अवसर प्राप्त हो जाएँ।