बजट 2018 सम्पूर्ण रूप से एक सोशल बजट है और 2019 में वोट पाने की लालसा से बनाया गया है सरकार ने लाखों फ्लेट बॉयर्स के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया या फिर बजट बनाते समय घर खरीददार के दुख फर्द को भूल कर बजट बनाया है वित्तमंत्री जेटली ने, सरकार ने सिर्फ वेतन भोगियों और अपने सांसदों के वेतन वृद्धि का तो प्रावधान किया पर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे फ्लेट बॉयर्स को फायदा देने के लिए कुछ नहीं सोचा जो बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है इस बजट में आम आदमी को आयकर में कुछ भी छूट नहीं दी गयी जबकि संगठित क्षेत्र की 250 करोड़ के कारोबार वाली कम्पनीओ को 25 प्रतिशत के कर दायरे में ले आये ।
अन्नू खान
अध्यक्ष नेफोमा