‘याद करो कुर्बानी’…ASI बाबू राम को मिला अशोक चक्र, वीरता के साथ आतंकियों को किया था ढ़ेर

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (26 जनवरी 2022):

“है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
मां वही जो दूध से इस देश की रज तौल आई
बहन जिसने सावनों में हर लिया पतझर स्वयं ही
हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई
बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थीं
पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आये
है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय ….
हमने लौटाये सिकन्दर सर झुकाए मात खाए
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है
सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है

है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं”

प्रसिद्ध कवि डॉ कुमार विश्वास द्वारा रचित यह पंक्ति, उन वीरों के त्याग और बलिदान की पावन गाथा है।इतिहास साक्षी है कि हिंदुस्तान के वीर सपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए सदैव अपने प्राणों की आहूति दिया है।

एएसआई बाबू राम को मिला अशोक चक्र सम्मान,पत्नी एवं पुत्र ने किया ग्रहण
गणतंत्र दिवस के मौके पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के एएसआई बाबू राम को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।जम्मू-कश्मीर ये बहादुर सिपाही आतंकवादियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में 29 अगस्त 2020 को शहीद हो गए थे. एएसआई बाबू राम 14 एनकाउंटर का हिस्सा रहे, जिसमें 28 आतंकियों को मार गिराया गया था।

माँ भारती के वीर सपूत एएसआई बाबू राम की कहानी
बाबू राम का जन्म 15 मई 1972 को जम्मू के पुंछ जिले के धारना गांव में हुआ था।बाबू राम बचपन से ही देश सेवा करने चाहते थे।
पढ़ाई पूरी करने के बाद बाबू राम 1999 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल तैनात हुए।जुलाई 2002 में उन्हें स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में शामिल किया गया। एसओजी में रहते हुए उन्हें आतंकियों के खिलाफ कई सारे ऑपरेशन में हिस्सा लिया। बाबू राम आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में सबसे आगे थे।उनकी वीरता और बहादुरी की वजह से ही उन्हें समय से पहले प्रमोशन भी मिलता रहा।

आतंकियों से मुठभेड़ करते हुए शहीद हुए थे वीर बाबू राम
29 अगस्त 2020 की शाम स्कूटी पर सवार तीन आतंकियों ने पुलिस और सीआरपीएफ की नाका पार्टी पर हमला कर दिया। गोलीबारी करते हुए ही आतंकी नजदीक के एक घर में छिप गए। एएसआई बाबू राम ने उन आतंकियों का पीछा किया और उस घर को घेर लिया।

सबसे पहले एएसआई बाबू राम ने एक्शन प्लान तैयार किया। उन्होंने आतंकियों से मुठभेड़ के बीच ही उस घर में फंसे लोगों को बाहर निकालने का ऑपरेशन शुरू किया।

इसी बीच सुरक्षाबलों की अतिरिक्त यूनिट भी पहुंच गई आतंकियों से सरेंडर करने को कहा गया, लेकिन वो नहीं माने और लगातार गोलीबारी करते रहे।इसी बीच खबर आई कि घर में अब भी कुछ और लोग आतंकियों के साथ फंसे हुए हैं।

एएसआई बाबू राम आगे बढ़े और घर में फंसे लोगों को निकालना शुरू किया, तभी वो आतंकियों की गोली का शिकार हो गए. हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और लश्कर कमांडर साकिब बशीर को मार गिराया।ऑपरेशन के दौरान घायल हुए एएसआई बाबू राम को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।

इस मुठभेड़ में तीनों आतंकी मारे गए।लश्कर कमांडर साकिब बशीर के अलावा उसके दोनों साथी उमर तारिक और जुबेर अहमद शेख ढेर हो गए। अगर उस दिन एएसआई बाबू राम ने तेजी से कार्रवाई नहीं की होती तो आतंकी एक बड़ा हमला करने में कामयाब हो जाते।

“हे कर्मवीर हे भाग्यवीर,हे जगतविजेता अग्रहरि
है नमन हे सूरवीर,हे विश्वविजयी राष्ट्र प्रहरी।

नमन है उन जननी को,उन सृजनकर्ता उस भूमि को
जिस माँ ने है जना आपको,जिस पिता ने है पाला,
है नमन उस पुण्यधरा को जिसने बचपन है संभाला।

हे कर्मवीर हे भाग्यवीर,हे जगतविजेता अग्रहरि
है नमन हे सूरवीर,हे विश्वविजयी राष्ट्र प्रहरी।।”

“रंजन अभिषेक”