SC की कार्यवाही के बाद नोएडा अथॉरिटी हुआ सख्त, किसी भी बिल्डर के खिलाफ एक अधिकारी नहीं लेगा फैसला

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (16/05/2022): सुप्रीम कोर्ट के एक्शन ने अब नोएडा अथॉरिटी की नींद तोड़ दी है अब शहर के बिल्डरों को फायदा देने और इससे जुड़े फैसले को कोई एक अधिकारी नहीं ले पाएगा। नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डरों को कंपलीशन सर्टिफिकेट ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट और परचेजेबल एफएआर देने की व्यवस्था में बड़ा बदलाव कर दिया अब बिल्डरों की परियोजना को दिए जाने वाले प्रमाण पत्र और पर्चेबल एफएआर देने के लिए कमेटी बनाई गई है कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही फैसला होगा ।

नोएडा अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार बिल्डरों के आवेदनों पर फैसला लेने के लिए जो कमेटी बनाई गई है उसमें बड़े और जिम्मेदार अफसरों को शामिल किया गया है इस कमेटी में प्लानिंग विभाग के महाप्रबंधक , ग्रुप हाउसिंग डिपार्टमेंट के विशेष कार्य अधिकारी इंजीनियरिंग विभाग और जल विभाग के मुखिया फाइनेंस कंट्रोलर को शामिल किया गया है यह कमेटी अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को देगी। इसके बाद मंजूरी देने का अधिकार मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पास होगा । आपकी जानकारी के बता दे की महालेखा परीक्षक ने नोएडा अथॉरिटी का ऑडिट किया है इस व्यवस्था में बदलाव की सिफारिश सीएजी ने की है।

नोएडा प्राधिकरण की इस नई कमेटी ने काम करना भी शुरू कर दिया है। अफसरों का मानना है कि इस व्यवस्था से कई स्तर पर जांच होगी इसमें गड़बड़ी होने की संभावना नहीं होगी । अगर कहीं गड़बड़ी होती भी है तो वह अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।

अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी है कि अगर सारे विभागों की दखल होगी तो बिल्डर्स सूचनाएं नहीं छिपा पाएगा। इस कमेटी में जल विभाग के जीएम के शामिल होने से परियोजना में एसटीपी सीवर लाइन पानी कनेक्शन निर्माण पूरा होने की रिपोर्ट आ जाती है। फाइनेंस कंट्रोलर अपने विभाग से पड़ताल करके मंजूरी देगा कि प्राधिकरण का बिल्डर पर कोई बकाया तो नहीं है। इसी तरह प्लानिंग विभाग मौके पर निरक्षण देखेगा और नक्शे का मिलान करेगा। सुपर टेक समेत शहर के कई बिल्डरों ने निर्धारित एफएआर से ज्यादा निर्माण किए है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पिछले कुछ महीनों के दौरान नोएडा अथॉरिटी ऐसे निर्माणों को तोड़ना जारी रखे हुए हैं।