नितिन सक्सेना, बरेली
मैंने 20 अप्रैल को अपने पिता का देह खो दिया, मेरे पिता हमेशा मेरे साथ है उनका देह न सही पर वो विचारो से और मेरे हृदय में सदा भगवान की तरह मेरे साथ ही रहेंगे।
कौन है इसका जिम्मेदार
ये उस डॉक्टर की जिम्मेदारी नही थी जिनसे फ़ोन तक नही उठाया,
ये उस 108/102 एम्बुलेंस सेवा की जिम्मेदारी भी नही है जिनको फ़ोन करने पर वो 2 घंटे बाद भी नही आई,
ये वयवस्था की जिम्मेदारी नही है,
ये बरेली के अस्पतालों की जिम्मेदारी भी नही है जिनको फ़ोन करने पर अभी शिफ्ट चेंज हुई है 30 मिनीट बाद फ़ोन करिये कहने वाले कि नही है,
ये बरेली के DM की भी ज़िम्मेदारी नही है जिनका नंबर उठा ही नही,
ये ज़िम्मेदारी स्वस्थ मंत्री की भी नही है,
ये जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्य नाथ की भी नही है,
ये देश के मुख्य प्रधान सेवक की भी नही है।
ये उन जानकारों की भी नही है जिनको फ़ोन कर मदद मांगने पर गूगल पर नंबर खोजने की सलाह दे दी गयी,
सरकार को भरपूर टैक्स देते है मैं मेरे पिता , मेरी माँ , मेरी पत्नी हम सब टैक्स भरते है मूल भूत सुविधा तक नही मिल सकती हमको,
एक एम्बुलेंस तक इस शहर मे समय पर नही आ सकी,
भारत माता की जय का नारा बहुत लगाया है मैंने पर आज जो व्यवस्था है देश की वो मेरे पिता के म्रत्यु से भी जियादा दुखद है,
मैंने इन 21 दिनों में अपने 9 करीबियों को खोया है।
कुछ अस्पतालो में चले गए , कुछ मूलभूत इलाज तक न पा सके, कुछ महँगी ऑक्सिजन न खरीद सके, कुछ अभी भी जंग लड़ रहे है।
किसकी गलती है ये?
आज लोगो की इम्युनिटी तो मजबूत है
पर ह्यूमैनिटी खत्म हो गयी है।