Noida: वर्तमान में नौएड़ा में प्रदूषण का स्तर PM 2.5 व PM 10 है। जबकि वर्तमान में जारी प्रदूषण विभाग के ऑकड़ो के अनुसर दर्ज ऑकड़ा तय मानक से काफी अधिक पहॅुच चुका है। जो मानव जीवन के लिए खतरा बन सकता है। इस कारण नौएड़ा के नागरिकों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है तथा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण का उत्पत्ति (ओरिजन) कहीं से भी हो वह, हवा के साथ अन्य क्षेत्रों में भी फैलता है। अतः पूरे गौत्तमबुद्ध नगर क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक साथ उत्पत्ति (ओरीजन) के सभी स्रोतों पर नीति बनाकर एक साथ कार्यवाही करने की आवश्यकता है तथा जनता को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।
नौएड़ा में प्रदूषण के उत्पत्ति (ओरीजन) के निम्न मुख्य कारण हैः-
1. पड़ोसी राज्यो में जो पराली जलाई जाती है, उसका धुऑं हवा के साथ शहरां तक पहुॅंचता है और वायु प्रदूषण के स्तर को और गम्भीर स्तर पर ले जाता है। सरकार के द्वारा बार बार कहने पर भी पराली को खुले में जलाने की समस्या बनी हुई है जिस के कारण वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तथा नागरिकां को ऑंखो में जलन, शरीर पर खुजली व दमे आदि जैसी भयावह बिमारियों से जूझना पढ़ रहा है। इसकी रोक थाम के लिए सरकार व निजी संस्थान पराली को खेतो में गलाने के लिए कैमिकल का छिड़काव करा रहे है, लेकिन अभी भी खुले में पराली जलाने की समस्या पर नियंत्रण नही पाया जा सका है। सरकार को प्रयास कर किसानों को इस हेतु जागरूक करना चाहिए ताकि खुले में पराली जलाने को रोका जा सके। किसान भाईयो को चाहिए की वह अपने आप आगे बढ़ कर इस सुविधा का लाभ ले। जिससे पराली जलाई भी नही जाऐगी तथा किसान भाईयो के खेतो में खाद भी लग जाएगा और वायु भी दूषित नही होगी।
2. निर्माण कार्य भी विदेशी तर्ज पर चारां तरफ से ढ़क कर किया जाना चाहिए तथा निमार्ण सामग्री व मिट्टी के ढेर लगा कर खुले में नही रखना चाहिए अपितु उन्हें चारां तरफ से घेर कर रखा जाना चाहिए, जिससे हवा चलने पर निर्माण सामग्री व मिट्टी हवा में न उडे तथा आवश्यकतानुसार उस पर Water (Waste Water) का छिड़काव किया जाना चाहिए पुराने निर्माण को तोड़ने के समय उस बिल्डिं़ग को चारां तरफ से ढ़का होना चाहिए तथा थोड़ा थोड़ा तोड़ा जाना चाहिए, जिससे प्रदूषण कम हो। नौएड़ा में जगह जगह भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। जहॉ अधिकतर उक्त बातो का ध्यान नही रखा जाता। अतः नौएड़ा प्राधिकरण समय समय पर औचक निरीक्षण कराये ताकि इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सके।
3. सरकारी ठेकेदारों द्वारा सरकारी ठेके के लिए निर्माण व मरम्मत के लिए खुदाई की मिटट्ी की सफाई तुरन्त की जानी चाहिए न कि उसे फैला कर छोड़ देना चाहिए अपितु उस पर पानी का छिड़काव भी कराते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त निर्माण सामग्री सार्वजनिक स्थान पर डाल कर ढेर नही लगाया जाना चाहिए अपितु आवश्यकतानुसार उतनी ही आवश्यक सामग्री मंगाई जाए जितने की जरूरत है। देखने में आता है कि बिल्डर या भवन निर्माता महीनो का स्टाक सड़क पर डाल देते है जो गलत हैं। अगर कोई सामग्री रखना अति आवश्यक हो, तो उक्त सावधानियॉं बर्तनी चाहिए जैसे की उस सामग्री को ढ़क कर रखना, पानी का छिड़काव नियमित तौर पर करते रहना, उसे हवा में उड़ने से बचाव करने के लिए तिरपाल में ढक कर रखना तथा कम से कम स्थान को घेरना।
4. माल वाहक वाहन जैसे मिट्टी, रेत, बदरपुर, सीमेन्ट, कूडा-करकट, गारबेज आदि वाहन पूर्णतः तिरपाल से अच्छी तरह ढ़के होने चाहिए।
5. सभी शहरी क्षेत्रों में सड़कां की सफाई वैक्यूम मशीन द्वारा रात्री में की जानी चाहिए, ताकि धूल न उड़े तथा सड़कां के किनारो में एकत्रित मिट्टी की भी सफाई करा कर उठाना चाहिए जिससे हवा के साथ व वाहनो के साथ न उड़े। सड़को की सफाई दिन के बजाए रात को हो ताकि वाहनों की आवाजाही से घूल हवा में न उड़े। दिन में समय काफी वाहन सड़को पर आ जाते है। जिस कारण सड़को की सफाई कर साइड़ों में जमा की गई धूल वाहनों की गति के करण फैल जाती है।
6. किसी भी परिस्थिती में कूड़ा-करकट व अन्य वस्तुआें को जलाने की अनुमति नही होनी चाहिए, क्योकिं यह भी प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है। इसका उल्लंघन करने वालो पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए।
7. औद्योगिक ईकाईयॉ जिनसे प्रदूषण निकलता है, वहॉ पर प्रदूषण की रोकथाम के नियमों का शक्ति से पालन कराया जाना चाहिए तथा नियमित जॉच भी होनी चाहिए। अति संवेदनशील प्रदूषण फैलाने वाली ईकाईयों को अलग से चिन्हित किया जाना चाहिए तथा उनपर एक अलग से नीति बना कर उपयुक्त कदम उठाये जाने चाहिए।
8. पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने के लिए जहॉं भी सम्भव हो वहॉं पर अभियान चला कर पेड़ लगाये जाने चाहिए तथा बाद में भी रख रखाव होना चाहिए।
9. नौएड़ा में नए निर्माण के कार्य बिल्डिर द्वारा किए जा रहे है परन्तु वह अपनी साईट पर खुदाई करके मिटट्ी खुले में छोड़ देते हैं तथा खुले में निर्माण सामग्री को छोड़ देते है जिससे सामग्री हवा में मिल कर भारी प्रदूषण फैलाती है। अतः बिल्डिरां को निर्माण कार्य के लिए उपयुक्त नीती बनाई जानी चाहिए। जिससे वह अपनी साईट पर प्रदूषण को न फलने दें।
10. शहर में चल रहे जनरेटरों से बहुत अधिक प्रदूषण हो रहा है इस पर भी उपयुक्त कदम उठाने चाहिए नौएड़ा प्राधिकरण RWAs के माध्यम से सैक्टरों में इस प्रकार के जनेरेटरों पर रोक लगाने हेतु भी लिखे औद्योगिक ईकाइयों में भी पुराने जनेरेटर जो मानकों के अनुरूप नही है उनपर प्रतिबन्ध लगाने हेतु सघन जॉच अभियान नौएड़ा प्राधिकरण को तत्काल चलाना चाहिए।
11. शहर में अनेक कम्पनियॉं वायु व पानी का प्रदूषण अधिक कर रही है तथा मानकां के अनुसार उपयुक्त कदम नही उठा रही है, उन्हें भी चिन्हित करके प्रदूषण कम करने के प्रयास करने चाहिए।
अतः जनहित में आपसे अनुरोध है कि निम्न बिन्दुआें पर उपयुक्त कार्यवाही करने का कष्ट करे जिससे नौएड़ा शहर प्रदूषण मुक्त हो सके।