नोएडा -तीन तलाक को लेकर पुरे देश में एक बहस का मुद्दा बना हुआ है तीन तलाक के मुद्दे पर राजनीती रोटी सेखी जा रही है एक तरफ तो बड़े बड़े चैनल इस तलाक के मुद्दे को अपने चैनल पर चलाकर टीआरपी बड़ा रहे है , तो दूसरी तरफ नेताओ का गुट भी दो भागो में बटा है कुछ नेता तो ठीक तलाक के हक़ में है कुछ इस इस्लाम धर्म का मुद्दा बनाकर उसके हाल पर छोड़ने पर अड़े है अब एक तबका तो कोर्ट के फैसले को सही मानता है वही दूसरे तबके के लोग कोर्ट फैसले को गलत मानते है ,मंगलवार को भी यही हुआ कोर्ट के फैसले पर, इलाहबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को तीन तलाक पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पर्सनल लॉ के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है। ये टिप्पणी एक याचिका को खारिज करते हुए की गई। फजलुर्रहमान, सेक्टर 8 मस्जिद नोएडा ने कहा इस पर मुस्लिम समुदाय सहमत नहीं है। उनका कहना है कि वे देश की न्याय व्यवस्था पर पूरी आस्था रखते हैं और सम्मान करते हैं, लेकिन शरीयत के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। तीन तलाक के मामले को बिना वजह तूल दिया जा रहा है। ऐसे मामलों की संख्या काफी कम है। इसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। इस्लाम में महिलाओं का सम्मान अन्य सभी धर्मो की तरह है। इसे बेफजूल का मुद्दा बनाया जा रहा है।
इस टिप्पणी को मैं गैर जरूरी समझता हूं। हालांकि देश की न्याय व्यवस्था पर पूरा एहतराम है। इस मुद्दे को राजनैतिक रंग दिया जा रहा है। इस तरह के मामले कुछ फीसद है। इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। इस्लाम महिलाओं का पूरा सम्मान करता है। महिलाओं के सम्मान को धर्म में न बांटे। जो तलाक के तरीके को गलत इस्तेमाल कर रहा है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
इस्लाम की नींव कुरान और हदीस पर है। इसके नियमों के खिलाफ नहीं जाया जा सकता। न्याय व्यवस्था पर पूरी आस्था है, लेकिन शरीयत के खिलाफ कोई कार्य नहीं किया जा सकता है। ये टिप्पणी गलत है। तीन तलाक को मुद्दा बनाया जा रहा है, जोकि पूरी तरह से गलत है। महिलाओं का सम्मान इस्लाम में उतना ही जितना अन्य धर्मो में है। इस मुद्दे को धर्म विशेष पर केंद्रित न किया जाए।